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Aurangzeb Controversy: अबू आज़मी के बयान से मचा सियासी घमासान

Aurangzeb Controversy: नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के औरंगजेब की तारीफ करने वाले बयान पर भारी विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा था कि औरंगजेब को गलत तरीके से पेश किया गया है और वह उतना भी क्रूर नहीं था। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में बवाल मच गया और कई दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं।

Aurangzeb Controversy: अबू आजमी ने एक सार्वजनिक सभा में कहा कि इतिहास को गलत तरीके से लिखा गया है और औरंगजेब को जानबूझकर एक क्रूर शासक के रूप में दिखाया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि औरंगजेब ने कई मंदिरों का निर्माण करवाया था और उनके शासनकाल में कानून व्यवस्था मजबूत थी।

Aurangzeb Controversy: इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “जो व्यक्ति छत्रपति शिवाजी महाराज की परंपरा पर गर्व करने के बजाय औरंगजेब को नायक मान रहा हो, क्या उसे भारत में रहने का अधिकार है?” उन्होंने समाजवादी पार्टी से पूछा कि क्या वे अपने नेता के इस बयान का समर्थन करते हैं।

Aurangzeb Controversy: महाराष्ट्र विधानसभा में भी इस मुद्दे पर भारी हंगामा हुआ। बीजेपी और शिवसेना नेताओं ने अबू आजमी की आलोचना की और उन्हें तुरंत निष्कासित करने की मांग की। हंगामे के बाद अबू आजमी को विधानसभा के मौजूदा सत्र से निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा, उनके खिलाफ दो अलग-अलग एफआईआर भी दर्ज की गई हैं।

बीजेपी नेताओं ने कहा कि अबू आजमी इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और उनका मकसद सांप्रदायिक तनाव पैदा करना है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक लोकतांत्रिक देश में कोई व्यक्ति औरंगजेब जैसे क्रूर शासक का समर्थन कर रहा है। समाजवादी पार्टी को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।”

वहीं, कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, “अच्छा हो या बुरा, इतिहास इतिहास होता है। इसे नकारना या गलत तरीके से प्रस्तुत करना उचित नहीं है।” उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे ऐतिहासिक घटनाओं को अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं।

इस बीच, समाजवादी पार्टी ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन पार्टी के अंदर भी इस बयान को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। कुछ नेता इस बयान से असहमति जता रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि इसे अनावश्यक रूप से तूल दिया जा रहा है।

अबू आजमी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा, “मेरा मकसद छत्रपति शिवाजी महाराज या संभाजी महाराज का अपमान करना नहीं था। मैं सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता था।” उन्होंने यह भी कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उनका इरादा नहीं था।

फिलहाल, इस मामले पर राजनीतिक हलकों में बहस जारी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी इस पर क्या कदम उठाती है।


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कमरुद्दीन सिद्दीकी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 25 वर्षों का दीर्घ अनुभव प्राप्त है। वे स्नातक हैं और राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर निर्भीक लेखन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कट्टरपंथ, भ्रष्टाचार और अंधविश्वास के विरुद्ध आजीवन संघर्ष करने का संकल्प लिया है। वे अनेक सामाजिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और समाज में जागरूकता लाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

 

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