aurangzeb controversy: मुग़ल साम्राज्य का सबसे ताक़तवर शासक औरंगज़ेब का विवादित जीवन
मुग़ल साम्रज्य के सबसे ताक़तवर शासक औरंगज़ेब का जीवन हमेशा से विवादित रहा है। औरंगज़ेब की मौत के लगभग 300 साल बाद आज भी राजनैतिक मुद्दा बना हुआ है। औरंगज़ेब का मुद्दा मीडिया की सुर्खियां बटोर रहा है और सियासी पार्टियां इसका राजनैतिक लाभ लेने के लिए आये दिन विवादित बयानबाजी कर रही हैं। भाजपा और आरएसएस इसे जहाँ एक क्रूर और कटटरपंथी शासक साबित करने में ज़ोर लगा रहे हैं वहीं विपक्ष तीन सौ साल बाद औरंगज़ेब के मुद्दे को उठा कर देश को मुख्य मुद्दे से भटकाने का आरोप भाजपा पर लगा रहा है। ऐसे समय में पाठकों तक यह जानकारी पहुँचाना ज़रूरी है कि औरंगज़ेब कौन था ?
aurangzeb controversy: पूरा नाम: अबुल मुजफ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब आलमगीर
जन्म: 3 नवंबर 1618, दाहोद, गुजरात
मृत्यु: 3 मार्च 1707, अहमदनगर, महाराष्ट्र
पिता: शाहजहाँ
माता: मुमताज महल
शासनकाल: 1658 – 1707 (मुगल साम्राज्य का छठा सम्राट)
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
aurangzeb controversy: औरंगज़ेब का जन्म 3 नवंबर 1618 को गुजरात के दाहोद में हुआ था। वह मुगल सम्राट शाहजहाँ और मुमताज महल का छठा पुत्र था। बचपन से ही औरंगजेब को इस्लामी शिक्षा में रुचि थी। उन्होंने कुरान, अरबी, फारसी, और इस्लामी कानून की पढ़ाई की। उनके व्यक्तित्व पर धार्मिक अनुशासन और सादगी का गहरा प्रभाव पड़ा।
शिक्षा और युद्ध कला:
औरंगज़ेब को इस्लामी कानून (शरीयत) और सुन्नी परंपराओं की गहरी जानकारी थी।
उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और सैन्य रणनीतियों की भी अच्छी ट्रेनिंग दी गई थी।
बचपन से ही वह एक निडर योद्धा और कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते थे।
औरंगज़ेब का सत्ता संघर्ष
1657 में शाहजहाँ बीमार पड़ा, जिसके बाद उनके चारों बेटों दारा शिकोह, शुजा, मुराद और औरंगजेब के बीच सत्ता संघर्ष छिड़ गया।
दारा शिकोह को शाहजहाँ का उत्तराधिकारी माना जा रहा था, लेकिन औरंगजेब ने सत्ता हथियाने के लिए अपने भाइयों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।
1658 में संभलपुर और समरगढ़ की लड़ाई में औरंगजेब ने दारा शिकोह को हराकर आगरा पर कब्जा कर लिया।
शाहजहाँ को कैद कर लिया गया और औरंगजेब ने खुद को मुगल सम्राट घोषित कर दिया।
औरंगज़ेब का शासनकाल (1658-1707)
औरंगजेब मुगल साम्राज्य का सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला शासक था। उसने लगभग 50 वर्षों तक शासन किया और अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। Aurangzeb Controversy: अबू आज़मी के बयान से मचा सियासी घमासान
प्रमुख नीतियां और कार्य:
इस्लामी शासन की स्थापना:
औरंगजेब ने पूरे साम्राज्य में इस्लामी कानून (शरीयत) लागू किया।
जज़िया कर (गैर-मुसलमानों पर कर) को फिर से लागू किया, जिसे अकबर ने हटा दिया था।
धार्मिक कट्टरता:
aurangzeb controversy: उसने कई हिंदू मंदिरों को ध्वस्त कराया, जिसमें काशी विश्वनाथ और मथुरा का केशवदेव मंदिर शामिल थे।
सिख गुरु गुरु तेग बहादुर को इस्लाम न अपनाने के कारण 1675 में फांसी दे दी।
मराठा शासक शिवाजी महाराज के साथ लंबे समय तक संघर्ष किया।
दक्षिण भारत में विस्तार:
औरंगज़ेब ने बीजापुर और गोलकुंडा के मुस्लिम शासकों को हराकर दक्षिण भारत को मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया।
उसने लगभग 27 वर्षों तक मराठाओं के खिलाफ युद्ध किया, लेकिन पूरी तरह से उन्हें पराजित नहीं कर सका।
आर्थिक स्थिति:
उसने कर बढ़ा दिए, जिससे किसानों और व्यापारियों में असंतोष बढ़ा।
अत्यधिक युद्धों और धार्मिक नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था कमजोर होने लगी।
विद्रोह और असंतोष:
राजपूत, जाट, सिख, मराठा और पठानों ने उसके खिलाफ विद्रोह कर दिया।
सबसे बड़ा संघर्ष मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ हुआ। शिवाजी को 1666 में आगरा में कैद किया गया था, लेकिन वे वहां से भागने में सफल रहे। गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में सिखों ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष जारी रखा।
औरंगज़ेब की मृत्यु और साम्राज्य का पतन
औरंगजेब ने लगभग 50 वर्षों तक शासन किया लेकिन अपने शासनकाल के अंत में वह पूरी तरह थका हुआ और निराश था। उसके अधिकतर जीवन में युद्ध और संघर्ष ही प्रमुख रहे।
मृत्यु:
3 मार्च 1707 को औरंगज़ेब की मृत्यु अहमदनगर, महाराष्ट्र में हुई।
उसने अपने जीवन के अंतिम समय में स्वीकार किया कि उसके द्वारा किए गए युद्ध और नीतियां मुगल साम्राज्य के लिए विनाशकारी साबित हुईं।
उसने अपने बेटों से कहा, “मैंने साम्राज्य का विस्तार तो किया, लेकिन इसे स्थायी नहीं बना सका।”
मृत्यु के बाद:
औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य कमजोर हो गया और जल्द ही अंग्रेजों और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के हाथों में चला गया।
उसका उत्तराधिकारी बहादुर शाह I बना, लेकिन वह कमजोर शासक साबित हुआ।
1857 तक आते-आते मुगल साम्राज्य पूरी तरह खत्म हो गया।
औरंगजेब का मूल्यांकन
नकारात्मक पक्ष:
❌ उसकी धार्मिक कट्टरता ने साम्राज्य को कमजोर कर दिया।
❌ उसने हिंदुओं, सिखों और अन्य समुदायों पर अत्यधिक अत्याचार किए।
❌ आर्थिक नीतियां असफल रहीं और किसानों पर भारी कर लगाया गया।
❌ मराठा और सिख विद्रोह को पूरी तरह दबाने में असफल रहा।
औरंगज़ेब की अच्छाइयाँ (सकारात्मक पक्ष)
हालाँकि औरंगजेब को उसकी कठोर नीतियों और धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता है, लेकिन वह एक सक्षम प्रशासक और अनुशासित शासक भी था। उसके शासनकाल में कई ऐसे गुण थे जो उसे एक प्रभावशाली, चतुर, रणनीतिकार और अनुशासित शासक मुगल सम्राट बनाते हैं।
- अनुशासन और सादगी
👉 सादगी भरा जीवन:
औरंगज़ेब मुगलों के अन्य शासकों की तरह भव्य जीवनशैली में यकीन नहीं रखता था।
उसने कभी राजकोष से निजी खर्च नहीं उठाया और खुद अपने हाथों से टोपी सिलकर और कुरान लिखकर पैसे कमाता था।
यहाँ तक कि उसकी मृत्यु के बाद उसे सफेद कपड़े में लपेटकर बिना किसी शाही तामझाम के दफनाया गया।
👉 अनुशासनप्रिय:
वह एक अत्यंत अनुशासित शासक था और खुद सख्ती से शरीयत का पालन करता था।
विलासिता से दूर रहता था और शराब, जुआ, नृत्य-संगीत जैसी चीजों से परहेज करता था।
- कुशल प्रशासक और कानून व्यवस्था
👉 सख्त लेकिन न्यायप्रिय शासक:
वह अपने प्रशासन में कानून के सख्त पालन के लिए जाना जाता था।
उसने सरकारी भ्रष्टाचार को कम करने के लिए अधिकारियों पर सख्त नियंत्रण रखा।
👉 ईमानदार शासन:
उसने कर संग्रह प्रणाली को व्यवस्थित किया और वित्तीय अनुशासन लागू किया।
वह खुद रात में वेश बदलकर जनता के हालात जानने के लिए निकलता था।
- मुगल साम्राज्य का सबसे बड़ा विस्तार
👉 अखंड भारत का निर्माण:
औरंगज़ेब के शासनकाल में मुगल साम्राज्य अपने सबसे बड़े क्षेत्र में फैला।
उसने बीजापुर और गोलकुंडा के शक्तिशाली दक्षिणी राज्यों को जीतकर मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
हालांकि, इन युद्धों ने आर्थिक रूप से साम्राज्य को कमजोर कर दिया था।
👉 दक्षिण भारत में विजय अभियान:
उसने लगभग 27 वर्षों तक मराठाओं और अन्य राज्यों के खिलाफ युद्ध लड़ा।
हालांकि वह पूरी तरह से मराठाओं को नहीं हरा सका, लेकिन उसने मुगल सेना की शक्ति को दिखाया।
- प्रशासनिक सुधार और नीतियाँ
👉 भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम:
उसने प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सख्त नियम लागू किए।
अधिकारियों की जवाबदेही तय की और अनियमितताओं पर कड़ी सजा दी।
👉 कर प्रणाली में सुधार:
उसने कृषि कर प्रणाली को व्यवस्थित किया और कई इलाकों में कर वसूली को बेहतर बनाया।
किसानों के लिए भी उसने कुछ करों को हटाया, हालांकि बाद में उसने जज़िया कर लागू किया जो विवादित था।
- धार्मिक ज्ञान और न्याय व्यवस्था
👉 इस्लामी कानून (शरीयत) का पालन:
औरंगज़ेब ने शरीयत को अपने शासन का आधार बनाया और न्याय व्यवस्था को इसी पर केंद्रित रखा।
उसने खुद इस्लामी कानून की शिक्षा ली थी और उसका पालन करता था।
👉 कला और ज्ञान का संरक्षण:
हालांकि उसने संगीत और चित्रकला पर पाबंदी लगाई, लेकिन उसने इस्लामी शिक्षा और अरबी-फारसी साहित्य को बढ़ावा दिया।
उसने फ़तवा-ए-आलमगीरी नामक इस्लामी कानून संहिता तैयार करवाई।
औरंगज़ेब द्वारा निर्मित या संरक्षित मंदिर
औरंगजेब द्वारा बनाए गए मंदिरों की संख्या को लेकर कई ऐतिहासिक मतभेद हैं। आमतौर पर उसे हिंदू मंदिरों के विध्वंस के लिए जाना जाता है, लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेजों और फारसी अभिलेखों से पता चलता है कि उसने कई मंदिरों को बनवाया और कुछ को दान भी दिया।
👉 काशी (वाराणसी) में कुछ मंदिरों को अनुदान दिया।
👉 गुजरात और महाराष्ट्र में कुछ मंदिरों के जीर्णोद्धार के प्रमाण मिलते हैं।
👉 1704 में सोमनाथ मंदिर को मुगलों के नियंत्रण में लेकर उसे संरक्षण दिया।
👉 मराठा क्षेत्र में कुछ मंदिरों को धन या भूमि अनुदान दिया।
मशहूर इतिहासकार सतीश चंद्र, आरसी मजूमदार और बदायूंनी के अनुसार, औरंगजेब ने कई हिंदू मंदिरों को बचाने या उनके पुजारियों को अनुदान देने का भी काम किया।
कुछ महत्वपूर्ण प्रमाण
1️⃣ 1681 में औरंगजेब ने महादेव मंदिर (उज्जैन) के पुजारियों को जागीर दी।
2️⃣ चित्रकूट में मंदिरों को दान दिया।
3️⃣ गोलकुंडा के कुछ मंदिरों को कर में छूट दी।
हालांकि, दूसरी ओर उसने काशी विश्वनाथ, मथुरा का केशवदेव मंदिर और कई अन्य बड़े मंदिरों को ध्वस्त भी कराया, खासतौर पर जहां उसे हिंदू विद्रोह या राजनीतिक खतरा महसूस हुआ।
निष्कर्ष
औरंगज़ेब मुगल साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली लेकिन सबसे विवादित शासक था। उसकी नीतियों के कारण मुगल साम्राज्य अपने चरम पर पहुंचा, लेकिन अंततः कमजोर और बिखरने लगा। धार्मिक कट्टरता और अत्यधिक युद्धों ने साम्राज्य की जड़ों को खोखला कर दिया। औरंगजेब की मृत्यु के कुछ दशकों बाद ही मुगल साम्राज्य पूरी तरह से खत्म हो गया और अंग्रेजों ने भारत पर नियंत्रण कर लिया।
(इस लेख की जानकरी इंटरनेट के माध्यम से हासिल की गयी है। इससे प्रकाशक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।अपनी राय इस ईमेल के माध्यम से दे सकते हैं। E-mail: unitedindialive5@gmail.com)
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