आजमगढ़ जिले में यूपी बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) उपेंद्र कुमार एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। परीक्षा केंद्र निर्धारण में अनियमितताओं, रिश्वतखोरी और नकल माफियाओं को संरक्षण देने के गंभीर आरोप उनके खिलाफ लगे हैं। जिले में बोर्ड परीक्षा के दौरान कई फर्जीवाड़े सामने आए, जिससे परीक्षा की शुचिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्र निर्धारण में भ्रष्टाचार के आरोप
परीक्षा शुरू होने से पहले ही परीक्षा केंद्र निर्धारण में गड़बड़ी के आरोप सामने आए थे। सूत्रों के अनुसार, परीक्षा केंद्र बनाने के लिए कई स्कूलों से ₹2.5 लाख तक की रिश्वत वसूली गई। जिन विद्यालयों ने मोटी रकम दी, उन्हें परीक्षा केंद्र बना दिया गया, भले ही उनके पास बुनियादी सुविधाएँ भी न हों। वहीं, कई योग्य विद्यालयों को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
इस मामले में शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए और दो कर्मचारियों—परीक्षा प्रभारी उमाकांत यादव और सहायक लिपिक दिलीप कुमार—को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। हालांकि, DIOS उपेंद्र कुमार पर भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। उच्च अधिकारियों ने इस मामले की गहन जांच के निर्देश दिए हैं।
परीक्षा में नकल माफियाओं का बोलबाला
बोर्ड परीक्षा शुरू होते ही नकल माफियाओं की सक्रियता खुलकर सामने आई। कई परीक्षा केंद्रों से शिकायतें आईं कि संगठित गिरोहों द्वारा छात्रों को नकल कराने की व्यवस्था की गई थी।
सबसे सनसनीखेज मामला गंभीरपुर थाना क्षेत्र के राजाराम स्मारक इंटर कॉलेज से सामने आया, जहाँ एक व्यक्ति दूसरे के स्थान पर परीक्षा देते हुए पकड़ा गया। असली परीक्षार्थी इब्राहिमपुर निवासी अमित कुमार था, जो पिछले एक साल से दुबई में नौकरी कर रहा है। उसकी जगह एक फर्जी परीक्षार्थी परीक्षा दे रहा था। पुलिस ने इस मामले में आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
इसके अलावा, कई अन्य केंद्रों पर भी छात्रों को खुलेआम नकल सामग्री मुहैया कराई जा रही थी। स्थानीय प्रशासन की सख्ती के बावजूद, कई केंद्रों पर नकल माफियाओं की पकड़ मजबूत बनी रही।
शिक्षा विभाग और प्रशासन पर उठ रहे सवाल
यूपी बोर्ड परीक्षा को पारदर्शी और नकलमुक्त बनाने के लिए प्रशासन कई सालों से सख्ती बरतने का दावा करता आ रहा है, लेकिन आजमगढ़ में परीक्षा प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार ने इस दावे को कमजोर कर दिया है।
छात्रों और अभिभावकों में इस बात को लेकर रोष है कि परीक्षा में अनियमितताओं के कारण ईमानदार छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। नकल के कारण मेधावी छात्रों की मेहनत पर भी असर पड़ता है और परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले को लेकर गंभीर हैं और पूरे मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं। हालाँकि, लोगों की माँग है कि केवल छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के बजाय, बड़े अधिकारियों को भी जवाबदेह ठहराया जाए ताकि भविष्य में परीक्षा प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनाई जा सके।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
सरकार और शिक्षा विभाग ने संकेत दिए हैं कि इस पूरे मामले की गहन जांच की जाएगी। बोर्ड परीक्षा में भ्रष्टाचार और नकल माफियाओं की भूमिका को लेकर जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट माँगी गई है। यदि DIOS उपेंद्र कुमार की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।
छात्रों और अभिभावकों को उम्मीद है कि दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी और आगे से यूपी बोर्ड परीक्षा को पूरी तरह निष्पक्ष बनाया जाएगा। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।
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