Corruption in UPSIDA: भ्र्ष्टाचार की जड़ों को उखाड़ना तो दूर है, हिला भी नहीं पा रही है योगी सरकार
Corruption in UPSIDA: ग्रेटर नोएडा। यूपी की योगी सरकार भ्र्ष्टाचार उन्मूलन के ख़िलाफ़ दिन- रात कार्य कर रही है लेकिन विभागों में अंगदी पैर जमाये बैठे बाबू बेख़ौफ़ लूट खसोट में लगे हुए हैं। यूपीसीडा के ग्रेटर नोएडा स्थित कासना कार्यालय का बहुत बुरा हाल है। सुबह कार्यालय खुलते ही प्रॉपर्टी डीलरों का कार्यालय में जमावड़ा लग जाता है। प्रॉपर्टी डीलर किसी की फाइल को ले कर फोटो खींचते और फाइलों को उल्ट पुलट कर आवंटियों की जानकारी लेते देखे जा सकते हैं। कासना कार्यालय में बैठे बाबू सबसे पहले डीलरों के कार्यों को निपटाने का प्रयास करते हैं, क्योंकि हर फाइल का रेट फिक्स है। कार्यालय में खुलेआम पैसों का लेन -देन चल रहा है। सौदे बाजी हो रही है। कुछ भी व्यवस्थित नहीं है। किसी को किसी का खौफ नहीं है। जैसे बाजार में दूकान लगती है, वैसे ही बाबू सुबह एक दम सही समय पर पहुंचते ही प्रॉपर्टी डीलरों का कार्य निपटाने में लग जाते हैं और आवंटियों को चक्कर लगवाया जाता है।
कम्प्यूटर पर ऑनलइन रजिस्ट्रेशन का एक हज़ार रुपया फीस तय है
Corruption in UPSIDA: किसी भी औद्योगिक भूखंड के लीजडीड से पहले उसका ऑनलइन रजिस्ट्रेशन होता है और वह रजिस्ट्रेशन यूपीसीडा का बाबू ही करेगा। कासना यूपीसीडा कार्याला में कम्प्यूटर पर कार्य करने वाला रवि नामक व्यक्ति लोगों से खुलेआम घूस लेता है। रवि कहता है कि मेरे पास मुफ्त में कोई कार्य नहीं होता है। इसी तरह से भूखंडों के ट्रांसफर, लीजडीड, नक्शा पास करवाने आदि के लिए कार्यालय के बाबुओं ने अपनी अपनी फीस फिक्स किया हुआ है, जो देता है उसका कार्य समय से हो जाता है और जो नहीं देता है, वह वर्षों तक चक्कर लगाता रह जाता है।
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सुबह से शाम तक लगता है प्रॉपर्टी डीलरों का मेला
Corruption in UPSIDA: सुबह कार्यालय खुलते ही प्रॉपर्टी डीलरों का मेला लग जाता है और चौकाने वाली बात यह है कि प्रॉपर्टी डीलर कहीं से किसी की भी फाइल उठा कर उसके अंदर के पेपरों का फोटो खींचना, पेपरों की अदला बदली करता रहता है लेकिन उनको कोई रोकता, टोकता नहीं है। लबे समय से अंगद की तरह से पैर जमा कर बैठे बाबुओं को किसी का भय इस लिए नहीं है क्योंकि उनके द्वारा उगाही किया हुआ पैसा ऊपर तक जाता है इसलिए उनेह ऊपर वालों का कोई डर दिखाई नहीं देता है। अभी जुलाई के शुरुआती सप्ताह में औद्योगिक विकास विभाग ने कुछ लोगों का तबादला करके भ्र्ष्टाचार पर अंकुश लगाने का प्रयास किया है लेकिन इनमे ज़्यादातर वही लोग हैं जिन्होंने अपनी पहुँच से मलाईदार सीटों पर अपना तबादला करवा लिया।
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निचे तक फैली भ्र्ष्टाचार की जड़ों को हिलाना मुश्किल है
Corruption in UPSIDA: उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास विभाग में सबसे ज़्यादा भ्र्ष्टाचार व्यापत है। यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद पहली बार बड़े स्तर पर भ्र्ष्टाचार उन्मूलन का प्रयास किया गया लेकिन चूँकि इस भ्र्ष्टाचार उन्मूलन अभियान में भ्र्ष्ट अधिकारी भी घुसे हुए हैं इस लिए इस अभियान को कामयाबी नहीं मिल पा रही है। गोरखपुर, लखनऊ, इलाहबाद, कानपुर, आगरा, ग्रेटर नॉएडा, यमुना प्राधिकरण और नोएडा प्राधिकरण में भ्र्ष्टाचार पहले की अपेक्षा थोड़ा काम ज़रूर हुआ है लेकिन यूपीसीडा में कोई फर्क नहीं पड़ा है। किसी भी क्षेत्रीय कार्यालय में चले जाईये, हर जगह बाबुओं की गुंडागर्दी साफ़ दिखाई देती है लेकिन ग्रेटर नोएडा के कासना में भ्र्ष्टाचार सबसे ज़्यादा है।
करोड़ों की फैक्ट्रियों की फाइलें सुरक्षित नहीं है
Corruption in UPSIDA: ग्रेटर नोएडा के कासना स्थित यूपीसीडा कार्यालय में लोगों की करोड़ों की फाइलें सुरक्षित नहीं हैं ! क्योंकि यहाँ प्रॉपर्टी डीलरों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। 500 रुपया दे कर प्रॉपर्टी डीलर किसी की फाइल को आलमारी से निकलवा लेता है, फाइल के अंदर के पेपरों की फोटो खींचते हैं, कुछ निकालते हैं और रख देते हैं, किसी को कुछ पता नहीं है। कई बार लोगों की फाइलें ग़ायब भी हो जाती हैं। जो लोग विभाग पर भरोसा कर के अपने व्यवसाय में व्यस्त हैं उनेह नहीं पता कि यूपीसीडा के कर्मचारी कुछ पैसों की लालच में उनकी गोपनीय जानकारी फाइलों से बेच रहे हैं।
अवैध उगाही के लिए आते हैं कर्मचारी और अधिकारी
Corruption in UPSIDA: यूपीसीडा कासना कार्यालय अवैध उगाही का अड्डा बना हुआ है लेकिन यह शीर्ष अधिकारीयों को दिखाई नहीं दे रहा है। यूपी में ज़मीनों के रेट ग्रेटर नोएडा में सबसे ज़्यादा है इस लिए यहाँ पर भ्र्ष्टाचार का रेट भी सबसे ज़यादा है। कर्मचारियों और अधिकारीयों ने अवैध उगाही करके करोड़ों की अवैध सम्पत्ति नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बना लिया है लेकिन यह न तो जाँच एजेंसियों को दिखाई दे रहा है और नहीं विभाग के बड़े अधिकारीयों को।
यहाँ ज़्यादातर कर्मचारी सुबह से शाम तक अवैध उगाही के लिए कार्य करता है चाहे विभाग का कार्य हो चाहे न हो। अगर कोई भूखंड का आवंटी आ जाता है और वह प्लाट की फाइल देखना चाहता है तो बाबू बड़ी मुश्किल और आनाकानी के बाद घंटों इंतज़ार के बाद उसे अपनी फाइल देखने के लिए देता है लेकिन यही कार्य अगर किसी प्रॉपर्टी डीलर का होता है मिनटों में हो जाता है। विभाग का चपरासी भी रोज़ शाम तक पांच हज़ार रुपया नकद ले कर जाता है। बाबुओं, इंजीनियरों और अधिकारीयों की कमाई महीने की लाखों होती है।
कुर्सी बचाने के लिए ऊपर तक जाता है महीना
Corruption in UPSIDA: सूत्र बताते हैं कि सबको अपनी कुर्सी बचाना होता है। जहाँ कमाई ज़्यादा है वहां ऊपर का हिस्सा भी ज़्यादा देना पड़ता है। अगर कोई ऊपर पूरा पैसा नहीं पहुंचा पता है तो उसका तबादला किसी अन्य स्थान पर कर दिया जाता है लेकिन जो उगाही करके समय से सबको हिस्सा पहुंचाता रहता है वही सपनी सीट पर वर्षों तक बना रहता है। क्योंकि भ्र्ष्टाचार के इस खेल में ऊपर तक के लोग शामिल होते हैं इस लिए इनके खिलाफ कार्रवाई का कोई सवाल ही नहीं उठता है, और कार्रवाई नहीं होने के कारण निराश हो कर दुखी लोग शिकायत करने से भी बचते हैं।
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70 साल के बुजुर्ग की कहानी
Corruption in UPSIDA: सफ़ेद धोती कुरता पहने लगभग सत्तर वर्ष के एक बुजुर्ग हाथों में एक फाइल लिए इधर से उधर घूम रहे थे, ज़्यादा परेशान दे देख कर हमने पूछ लिया कि चाचा क्या बात है आप कुछ ज़्यादा परेशान दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने सिर ऊपर उठा कर मेरी तरह देखा और पुछा कि क्या आप इसी विभाग में कार्य करते हैं ? मैंने जवाब दिया कि नहीं ! फिर उन्होंने एक लम्बी साँस लेकर थोड़ा स्थिर हो कर बताना शुरू किया- कि यहाँ तो खुले आम लूट हो रही है, बूढ़े और महिलों की भी शर्म नहीं करते हैं, दस साल से चक्कर लगा रहा हूँ, बिना पैसा दिए कोई कार्य नहीं होता है। चाचा ने कहा कि फैक्ट्री शुरू करने के लिए दस महीने का समय माँगा था, सिर्फ दस दिन का समय दिन ! क्या दस दिन में फैक्ट्री शुरू होती है ? उन्होंने कहा कि आज ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए मेरे से बाबू ने एक हज़ार रुपया ले लिया। उन्होंने कहा कि यही गंदे लोग सरकार की छवि को धूमिल कर रहे हैं। यह दुखद है, कि इनके खिलाफ कोई एजेंसी जांच क्यों नहीं करती हैं।
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