corruption in upsida: यूपीसीडा में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार, अधिकारी बने करोड़पति, निवेशक परेशान
corruption in upsida: उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के खिलाफ कार्रवाई की है। इससे सरकार ने साफ संदेश दिया कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन यूपीसीडा (U.P. State Industrial Development Authority – UPSIDA), जो औद्योगिक विकास की रीढ़ माना जाता है, वहां भ्रष्टाचार चरम पर है।
corruption in upsida: यूपीसीडा, जिसे पहले यूपीएसआईडीसी के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना औद्योगिक विकास प्राधिकरण है। लेकिन यहां वर्षों से जमे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी न केवल सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं बल्कि औद्योगिक विकास को भी बाधित कर रहे हैं।
ऑनलाइन सिस्टम के बावजूद रिश्वतखोरी जारी
corruption in upsida: योगी सरकार ने व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया लागू की थी, लेकिन इसमें मौजूद खामियों का फायदा उठाकर विभाग के डीलिंग क्लर्क, अकाउंट विभाग, सिविल विभाग और रीजनल मैनेजर हर दिन करोड़ों रुपये की अवैध उगाही कर रहे हैं। Corruption in UPSIDA: भ्र्ष्टाचार की जड़ों को उखाड़ना तो दूर है, हिला भी नहीं पा रही है योगी सरकार
औद्योगिक क्षेत्र में भूमि की बढ़ती मांग के बावजूद यूपीसीडा की भ्रष्ट व्यवस्था के कारण निवेशक परेशान हो रहे हैं।
- दिल्ली-एनसीआर के ट्रोनिका सिटी, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और सिकंदराबाद में जमीनों के भाव आसमान छू रहे हैं।
- लेकिन यूपीसीडा की भूमि की कीमत नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से कम होने के कारण निवेशक यूपीसीडा से जमीन खरीदना चाहते हैं।
- भ्रष्टाचार के कारण निवेशक महीनों और वर्षों तक फाइलों में उलझे रहते हैं, जिससे औद्योगिक विकास बाधित हो रहा है।
सबसे ज्यादा भ्रष्ट कार्यालय
यूपीसीडा के कुछ क्षेत्रीय कार्यालयों को “कमाऊ कार्यालय” कहा जाता है, जहां भ्रष्टाचार चरम पर है।
सबसे भ्रष्ट कार्यालयों की सूची:
- ग्रेटर नोएडा (साइट-5, कासना) – सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार
- गाजियाबाद
- ट्रोनिका सिटी
- अलीगढ़
- आगरा
- बरेली
- लखनऊ
- कानपुर
ग्रेटर नोएडा (साइट-5, कासना) को सबसे भ्रष्ट कार्यालय माना जाता है, जहां रीजनल मैनेजर और डीलिंग क्लर्क सालों से जमे हुए हैं।
यहां हर काम का “रेट कार्ड” तय है:
- आवेदन रिसीव करवाने का शुल्क – ₹100
- अपने ही भूखंड की फाइल देखने के लिए – ₹200 से ₹500
- निवेश मित्र पोर्टल पर आवेदन करवाने का शुल्क – ₹1,000
- भूखंड रिस्टोर करवाने का शुल्क – ₹500 से ₹1,000 प्रति वर्ग मीटर
- लीज करवाने के लिए डीलिंग क्लर्क की रिश्वत – ₹10 प्रति वर्ग मीटर + सर्किल रेट का 1%
- कब्ज़ा लेने का शुल्क – ₹5,000 (जेई को)
- उत्पादन शुरू करने का प्रमाण पत्र लेने के लिए – ₹200 से ₹500 प्रति वर्ग मीटर
- भूखंड ट्रांसफर करने का शुल्क – ₹200 से ₹300 प्रति वर्ग मीटर
रीजनल मैनेजर और मुख्यालय की लापरवाही
corruption in upsida: निवेशकों का आरोप है कि यूपीसीडा के रीजनल मैनेजर उनके फोन तक नहीं उठाते, जिससे उन्हें लीज करवाने या अन्य विभागीय जानकारियों के लिए महीनों चक्कर काटने पड़ते हैं। UPSIDA Recruitment Scam: मलाईदार पदों पर पहुँच कर ऊपर तक हिस्सा पहुंचा रहे अधिकारी, जाँच गयी ठण्डे बस्ते में!
यूपीसीडा का मुख्यालय कानपुर में है, लेकिन वहां से भी निवेशकों को कोई सहायता नहीं मिलती।
- आईटी विभाग और अकाउंट विभाग के अधिकारी किसी की नहीं सुनते।
- निवेश मित्र पोर्टल के माध्यम से आने वाले आवेदनों को बिना पूरी जांच किए निरस्त कर दिया जाता है।
-नियम-कानून को नजरअंदाज कर पूरा विभाग सिर्फ घूसखोरी में लगा हुआ है।
सीएम पोर्टल पर की गई शिकायतें भी हो रहीं अनसुनी
निवेशकों का आरोप है कि मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायतों को बिना जांच किए ही निस्तारित दिखाकर बंद कर दिया जाता है।
- शिकायतकर्ताओं से संपर्क तक नहीं किया जाता और उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जाता।
- मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारी सिस्टम में मिलीभगत कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
सरकार को करना होगा सख्त एक्शन
अगर सरकार बर्खास्त आईएएस अभिषेक प्रकाश की संपत्तियों की जांच कर रही है, तो यूपीसीडा के रीजनल मैनेजर, डीलिंग क्लर्क और सीईओ की संपत्तियों की भी जांच होनी चाहिए।
- भ्रष्ट अधिकारियों का तबादला क्यों नहीं किया जाता?
- क्या सरकार यूपीसीडा में मौजूद भ्रष्टाचार पर कोई कार्रवाई करेगी?
अगर जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यूपीसीडा की भ्रष्ट व्यवस्था औद्योगिक विकास को पूरी तरह से रोक देगी और निवेशक अन्य राज्यों की ओर रुख कर सकते हैं।
➡ सरकार को चाहिए कि मुख्यमंत्री पोर्टल की सभी शिकायतों की निष्पक्ष जांच करवाए और यूपीसीडा में मौजूद भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
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