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DDA Action: दिल्ली में DDA का बुलडोजर: 200 से अधिक झुग्गियां हटाई गईं, लोगों में हड़कंप

DDA Action: नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली के यमुना खादर क्षेत्र में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने अतिक्रमण हटाने के अभियान के तहत इस इलाके में बड़ी कार्रवाई की। इस दौरान 200 से अधिक झुग्गियों को हटाया गया, जिससे प्रभावित लोगों में हड़कंप मच गया। यह अभियान अतिक्रमण मुक्त भूमि सुनिश्चित करने और सरकारी योजनाओं के तहत भूमि उपयोग को लागू करने के लिए चलाया गया।

अचानक हुई कार्रवाई से मचा हड़कंप

DDA Action: सुबह-सुबह जब बुलडोजर झुग्गी बस्तियों में पहुंचे तो वहां रहने वाले लोगों में अफरा-तफरी मच गई। DDA अधिकारियों के मुताबिक, यह कार्रवाई अदालत के आदेश पर की गई और इससे पहले अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस जारी किया गया था। हालांकि, झुग्गीवासियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया और वे बेघर हो गए हैं।

प्रभावित लोगों की हालत

DDA Action: झुग्गियों में रहने वाले कई लोगों का कहना है कि उनके पास जाने के लिए कोई और जगह नहीं है। वे बरसों से इस इलाके में रह रहे थे और अचानक बेघर हो गए हैं। स्थानीय निवासी नरेश कुमार ने कहा, “हमारा सबकुछ चला गया। हम यहां वर्षों से रह रहे थे, लेकिन अब हमें बेघर कर दिया गया है। हमें कोई पुनर्वास योजना नहीं दी गई।”

प्रशासन की सफाई

DDA अधिकारियों ने कहा कि यह जमीन सरकारी संपत्ति थी और यहां अवैध रूप से झुग्गियां बनाई गई थीं। अधिकारियों के मुताबिक, पहले ही कई बार नोटिस दिया गया था, लेकिन अवैध कब्जा नहीं हटाया गया। DDA ने यह भी कहा कि इस इलाके में पुनर्वास योजना के तहत कुछ योग्य परिवारों को अस्थायी रूप से शिफ्ट किया जा सकता है।

विपक्ष का हमला

इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने इसे गरीबों के खिलाफ कार्रवाई करार दिया है। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “सरकार को पहले इन लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी। गरीबों को यूं ही सड़क पर नहीं छोड़ा जा सकता।” वहीं, बीजेपी ने कहा कि यह कदम सरकारी भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए जरूरी था।

आगे क्या?

DDA के मुताबिक, यह अतिक्रमण हटाने का अभियान आगे भी जारी रहेगा और अन्य इलाकों में भी सरकारी जमीन को खाली कराया जाएगा। हालांकि, झुग्गीवासियों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि जब तक पुनर्वास की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक ऐसे अभियान को रोका जाना चाहिए।

फिलहाल, यह मामला तूल पकड़ रहा है और देखना होगा कि आगे सरकार क्या कदम उठाती है।


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कमरुद्दीन सिद्दीकी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 25 वर्षों का दीर्घ अनुभव प्राप्त है। वे स्नातक हैं और राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर निर्भीक लेखन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कट्टरपंथ, भ्रष्टाचार और अंधविश्वास के विरुद्ध आजीवन संघर्ष करने का संकल्प लिया है। वे अनेक सामाजिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और समाज में जागरूकता लाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

 

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