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jhansi childrens death: झाँसी मेडिकल कॉलेज में दस बच्चों की मौत, लापरवाही के आरोप, परिजनों में आक्रोश

jhansi childrens death: झाँसी: उत्तर प्रदेश के झाँसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बीते 48 घंटों के भीतर दस नवजात शिशुओं की मौत ने हड़कंप मचा दिया है। इन बच्चों की मौत का कारण अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और सुविधाओं की कमी को बताया जा रहा है। इस दर्दनाक घटना के बाद परिजनों में आक्रोश फैल गया है, और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

झांसी मेडिकल कॉलेज हादसे में मृत नवजातों के परिजनों को 5 लाख की सहायता, मुख्यमंत्री ने जताया शोक

jhansi childrens death: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू (नवजात गहन चिकित्सा इकाई) में हुए दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वाले नवजातों के परिजनों को राज्य सरकार ने 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह आदेश दिया है कि यह मुआवजा जल्द से जल्द पीड़ित परिवारों तक पहुंचाया जाए।

मुख्यमंत्री का बयान और तुरंत कार्रवाई

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त किया और कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
  • घटना की सूचना मिलने पर सीएम ने देर रात ही उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को मौके पर भेजा।
  • मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि घटना की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।

घटनाक्रम का विवरण

jhansi childrens death: पिछले दो दिनों में मृतकों में वे नवजात शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था। इनमें से कुछ बच्चे जन्म के समय से ही कमजोर थे, जबकि अन्य को समय पर सही उपचार और उपकरण न मिल पाने के कारण जान गंवानी पड़ी।

परिजनों का आरोप

  • परिजनों का कहना है कि चिकित्सकों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण बच्चों को समय पर ऑक्सीजन और उचित इलाज नहीं मिला।
  • अस्पताल में आवश्यक उपकरण, जैसे वेंटिलेटर और जीवनरक्षक दवाओं की कमी, भी सामने आई है।
  • परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में स्टाफ की कमी के कारण बच्चों का सही से देखभाल नहीं हो पा रही है।

अस्पताल प्रशासन का बयान

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अधिकांश बच्चों को गंभीर हालत में लाया गया था, और उनकी मौत का कारण जन्मजात समस्याएं या पहले से चली आ रही गंभीर बीमारियां थीं।

  • अस्पताल के प्रमुख ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बच्चों के इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई।
  • उन्होंने कहा कि घटना की जांच की जा रही है, और रिपोर्ट आने के बाद ही कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी।

जांच के आदेश

घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। एक विशेष टीम अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच कर रही है।

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी घटना का संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
  • जांच रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही गई है।

सुविधाओं की कमी उजागर

यह घटना एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली को उजागर करती है।

  • एनआईसीयू में पर्याप्त स्टाफ और उपकरणों की कमी।
  • आवश्यक दवाओं और ऑक्सीजन की आपूर्ति में रुकावट।
  • अस्पताल में मरीजों की संख्या के मुकाबले संसाधनों की भारी कमी।

परिजनों में गुस्सा और सवाल

घटना के बाद परिजनों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि अगर समय पर उचित इलाज मिलता, तो उनके बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर सवाल

स्थानीय प्रशासन पर भी इस मामले को गंभीरता से न लेने के आरोप लग रहे हैं। परिजनों ने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार लाया जाए।

निष्कर्ष

झाँसी मेडिकल कॉलेज में हुई इस दर्दनाक घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों की मांग है कि उन्हें न्याय मिले और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। जांच के नतीजों के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की दिशा स्पष्ट होगी।


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कमरुद्दीन सिद्दीकी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 25 वर्षों का दीर्घ अनुभव प्राप्त है। वे स्नातक हैं और राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर निर्भीक लेखन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कट्टरपंथ, भ्रष्टाचार और अंधविश्वास के विरुद्ध आजीवन संघर्ष करने का संकल्प लिया है। वे अनेक सामाजिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और समाज में जागरूकता लाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

 

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