Ghosi By-Election: मंत्री बनने के लिए थोपा गया क्वालिफाइंग एग्जाम में फेल हो गए ओमप्रकाश राजभर
Ghosi By-Election: आप मान्यवर कांशीराम की सियासी नर्सरी की उपज हैं. ज़मीनी संघर्ष कर एक सियासी मुक़ाम हासिल किए। आपकी विचारधारा से लैस ट्रेंड साफगोई आकर्षित करती रही। राजभर समाज अपने नेता के साथ खड़ा रहा, आप हिम्मती थे, कि मंत्री पद छोड़कर जातिवार जनगणना, एक समान अनिवार्य शिक्षा, अति पिछड़े समुदाय के सवालों से लेकर पाखंड अंधविश्वास पर ललकार कर बोलते थे। आप लोगों के दिलों में हुआ करते थे।
Ghosi By-Election: मगर डर या लालच में फिर से उधर गए, तब से इन मुद्दों पर आप चुप हो गए। अव्वल तो यह कि यह शर्त आपका अपमान था कि पहले आप घोसी जिताकर आएं, तब मंत्री बनाएंगे। पहला अपमान यहीं हुआ. दूसरा ये हुआ कि शायद अब जनता आप जैसों की विचारधारा से समझौता करते हुए भाई से झगड़ा होने पर पड़ोस में ज़हर पीने की इस सियासत से नाखुश हो चुकी है। उसे पुराना राजभर शायद पसंद था, बदला हुआ नहीं. ये बहुत बड़ी बात है।
Ghosi By-Election: ठहरकर सोचिएगा ज़रूर! वरना वंचित शोषित समाज अब पहले जितना न तो अतिभावुक रहा और न अब जाति के नाम मात्र पर भ्रमित, अब जनता को अपनी वैचारिकी पर टिक कर खड़ा रहने वाला एक फाइटर पसंद आता है। आप फाइटर ही थे, मगर आप भरोसा खो दिए। संविधान ही खतरे में है, ऐसे नाजुक वक्त में आपका पाला बदल लेना सामाजिक क्षति है। मगर अब शायद समाज क्षति न सहेगा, इशारा काफ़ी है, समझदारी की दरकार है। लेखक – डॉ लक्षमण यादव
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