Sambhal Violence: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सम्भल हिंसा में मारे गए युवाओं के परिवारों को ₹5-5 लाख की आर्थिक सहायता दी
Sambhal Violence: नई दिल्ली, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (JUH) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और राज्य दीनी तालीमी बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अफ़्फान मंसूरपुरी की अगुवाई में जमीयत का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सम्भल पहुंचा। इस यात्रा का उद्देश्य पुलिस फायरिंग में मारे गए लोगों के परिवारों को संवेदना प्रकट करना और आर्थिक सहायता प्रदान करना था।
आर्थिक सहायता की पेशकश
Sambhal Violence: जमीयत ने अपने सेवा कार्य की पहल के तहत प्रत्येक पीड़ित परिवार के लिए ₹5 लाख की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया। इस सहायता राशि को डिमांड ड्राफ्ट के रूप में तैयार कर पीड़ित परिवारों के मुखियाओं को सौंपा गया। यह सहायता इस कठिन समय में उनके लिए थोड़ी राहत प्रदान करने के लिए दी गई।
पुलिस द्वारा हस्तक्षेप और प्रतिनिधिमंडल की प्रतिक्रिया
Sambhal Violence: सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया के दौरान, पुलिस ने प्रतिनिधिमंडल को रोका और उनके आगे बढ़ने में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश की। इस पर महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह पीड़ितों की मदद करने और उनके प्रति संवेदनाएं व्यक्त करने से रोके। यह न केवल हमारी धार्मिक और नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार भी है।”
पीड़ित परिवारों से मुलाकात और संवेदनाएं
लंबी बातचीत और पुलिस के साथ चर्चा के बाद, प्रतिनिधिमंडल ने शहीदों के परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं और आर्थिक सहायता सौंपते हुए कहा कि यह सहायता केवल सहानुभूति और राहत का प्रतीक है।
मुफ्ती मोहम्मद अफ़्फान मंसूरपुरी ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल पीड़ितों के प्रति सहानुभूति प्रकट करना और उनकी हरसंभव मदद करना है। यह हमारा धार्मिक कर्तव्य है और इंसानियत का तकाजा भी।”
आगे भी मदद का आश्वासन
प्रतिनिधिमंडल ने इस बात का भी आश्वासन दिया कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद भविष्य में भी इन परिवारों के साथ खड़ी रहेगी और उनकी हरसंभव मदद करेगी। उन्होंने कहा, “हमारी यह छोटी सी कोशिश अल्लाह की रज़ा के लिए है। असली राहत और इनाम अल्लाह ही प्रदान करेगा।”
इस्लामिक शिक्षाओं और अन्याय के खिलाफ खड़ा रहने का संदेश
प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि पीड़ितों के दुख में शामिल होना और उनके प्रति संवेदना प्रकट करना इस्लाम की मूल शिक्षाओं का हिस्सा है। जमीयत ने यह भी दोहराया कि वह हर प्रकार के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती रहेगी, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय के व्यक्ति के साथ हो।
जमीयत का संदेश
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा रहना न केवल एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य है, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने समाज से भी आग्रह किया कि पीड़ित परिवारों को हर संभव सहयोग प्रदान करें और उनके संघर्ष में भागीदार बनें।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यह भी आश्वासन दिया कि वह न केवल पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी, बल्कि उनके न्याय और अधिकारों की रक्षा के लिए हर मंच पर अपनी आवाज बुलंद करेगी।
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