“month of blessings and mercy”: रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना और सबसे पाक (पवित्र) महीना माना जाता है। इस महीने में मुसलमान रोज़ा (उपवास) रखते हैं, जो इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है। रमज़ान को रहमत, बरकत और मग़फिरत (क्षमा) का महीना कहा जाता है, जिसमें मुसलमान खुद को अल्लाह के करीब लाने के लिए इबादत और नेकियों में व्यस्त रहते हैं।
- रमज़ान का धार्मिक महत्त्व
रमज़ान का महत्व कई कारणों से विशेष है:
📖 क़ुरान का अवतरण (नुज़ूल-ए-क़ुरान)
- रमज़ान की सबसे बड़ी फज़ीलत यह है कि इसी महीने में अल्लाह ने क़ुरान उतारा।
- क़ुरान में कहा गया है:
“रमज़ान वह महीना है जिसमें क़ुरान उतारा गया, जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है और सच्चाई व न्याय का प्रमाण है।” (सूरह अल-बक़रा 2:185)
🌙 लैलतुल-क़द्र (शबे-क़द्र) की रात
- रमज़ान की आखिरी 10 रातों में से एक रात ‘लैलतुल-क़द्र’ होती है, जिसे हजार महीनों से बेहतर कहा गया है।
- इस रात में अल्लाह की विशेष रहमत बरसती है, और जो भी इबादत करता है, उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
- यह रात रमज़ान की 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं या 29वीं रातों में से एक हो सकती है**।
🕌 जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं
- हदीस में आता है कि रमज़ान के दौरान जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, और शैतान को कैद कर दिया जाता है।
📜 रोज़ा (उपवास) की अनिवार्यता
- इस्लाम के अनुसार, **रोज़ा केवल भूखा-प्यासा रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह आत्म-संयम और ईश्वर-भक्ति की परीक्षा है।
- हदीस में है:
“जो रमज़ान के रोज़े ईमान और अल्लाह के लिए रखता है, उसके पिछले गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। (सहीह बुखारी)
- रोज़े (उपवास) के नियम और फायदे
रोज़ा कब रखा जाता है?
- रोज़ा सहरी (सूर्योदय से पहले भोजन) से शुरू होता है और इफ्तार (सूर्यास्त के बाद भोजन) के साथ समाप्त होता है।
- पूरे दिन भोजन, पानी, बुरी बातों, ग़लत कामों और ग़ुस्से से बचना ज़रूरी होता है।
रोज़े के फायदे
✅ धार्मिक लाभ: अल्लाह के करीब जाने का मौका मिलता है और गुनाह माफ़ होते हैं।
✅ मानसिक लाभ: संयम, धैर्य और आत्म-नियंत्रण की आदत विकसित होती है।
✅ शारीरिक लाभ: शरीर डिटॉक्स होता है, पाचन तंत्र को आराम मिलता है, और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।
- रमज़ान में विशेष इबादतें
🕋 तरावीह की नमाज़
- रमज़ान में इशा (रात की नमाज़) के बाद विशेष तरावीह की नमाज़ पढ़ी जाती है।
- इसमें क़ुरान शरीफ की तिलावत की जाती है और यह पूरे महीने चलता है।
🤲 दुआ और तौबा
- रमज़ान को दुआओं की कबूलियत का महीना कहा गया है।
- इस महीने में सच्चे दिल से **अल्लाह से तौबा (माफी) मांगने पर गुनाह माफ हो जाते हैं।
ज़कात और सदक़ा (दान)
- रमज़ान में दान करने का बहुत अधिक सवाब (पुण्य) होता है।
- इस महीने में ज़कात (आर्थिक दान) और सदक़ा (सामान्य दान) देना अनिवार्य माना गया है।
- रमज़ान के तीन हिस्से (अशरा)
रमज़ान को तीन अशरों (10-दिनों के भाग) में बांटा गया है। पहला अशरा (रहमत का दौर – 1 से 10 रमज़ान)
- अल्लाह की रहमत (कृपा) बरसती है।
- हमें इस दौरान अल्लाह की रहमत मांगनी चाहिए।
दूसरा अशरा (मग़फिरत का दौर – 11 से 20 रमज़ान)
- यह समय गुनाहों की माफी मांगने के लिए होता है।
- हमें अपने पिछले गुनाहों की तौबा करनी चाहिए और नेक काम करने चाहिए। तीसरा अशरा (जहन्नम से निजात – 21 से 30 रमज़ान)
- यह शबे-क़द्र और इबादत का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है।
- इस दौरान **अल्लाह से जहन्नम से बचाने की दुआ करनी चाहिए।
- रमज़ान के आखिरी 10 दिन और एतिकाफ़
- रमज़ान के **आखिरी 10 दिनों में लोग मस्जिद में बैठकर एतिकाफ (एकांतवास) करते हैं।
- यह समय केवल इबादत, तिलावत, और दुआ में बिताने के लिए होता है।
- ईद-उल-फितर और रमज़ान का समापन
- रमज़ान के पूरा होने के बाद, **ईद-उल-फितर मनाई जाती है।
- ईद से पहले सदक़ा-ए-फ़ितर (दान) देना अनिवार्य होता है, ताकि गरीब लोग भी ईद मना सकें।
- रमज़ान के दौरान बरतने वाली सावधानियाँ
✅ झूठ, चुगली और ग़लत कामों से बचें।
✅ रोज़े के दौरान गुस्सा और बुरे शब्द न बोलें।
✅ गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
✅ नमाज़ और क़ुरान की तिलावत में ध्यान दें।
🌟 निष्कर्ष
रमज़ान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का महीना नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और ईमान को मज़बूत करने का समय है। इस दौरान की गई इबादत, रोज़े, सदक़ा, और नेकियाँ 70 गुना तक बढ़ा दी जाती हैं। यह महीना अल्लाह की रहमत, गुनाहों की माफी और जन्नत के करीब जाने का सुनहरा मौका होता है।
👉 इसलिए, हर मुसलमान को इस पवित्र महीने का पूरा लाभ उठाना चाहिए और इसे खुद को बेहतर इंसान बनाने का माध्यम बनाना चाहिए। 🤲
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