Rana Sanga: राणा सांगा ने ही बाबर को बुलाया था, यही सत्य है, मैं माफ़ी नहीं माँगूँगा -रामजी लाल
Rana Sanga नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने गुरुवार को इतिहास से जुड़े एक विवादास्पद बयान में कहा कि राणा सांगा ने ही इब्राहिम लोदी से लड़ने के लिए बाबर को भारत बुलाया था। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भारी बवाल मच गया है।
इस बयान को लेकर भाजपा और कई राजपूत संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। करणी सेना और अन्य हिंदू संगठनों ने इसे राणा सांगा और राजपूत समाज का अपमान बताते हुए देशभर में प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। वहीं, रामजी लाल सुमन ने अपने बयान से पीछे हटने से इनकार कर दिया और स्पष्ट रूप से कहा कि “मुझे अपने बयान पर कोई खेद नहीं है और मैं इस जन्म में माफी नहीं मांगूंगा।”
रामजी लाल सुमन ने क्या कहा?
Rana Sanga रामजी लाल सुमन ने संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा:
“राणा सांगा ने ही बाबर को भारत आने का निमंत्रण दिया था, ताकि वह इब्राहिम लोदी को हराने में उनकी मदद कर सके। यह ऐतिहासिक तथ्य है और इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मैंने जो कहा वह पूरी तरह से इतिहास पर आधारित है, अगर किसी को शक है तो वे इतिहास की किताबें पढ़ सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा,
“यह केवल राजनीतिक विरोधियों द्वारा बेवजह विवाद पैदा करने का प्रयास है। भाजपा और उनके सहयोगी दल इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देकर अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं।”
बीजेपी और राजपूत संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया
रामजी लाल सुमन के इस बयान को भाजपा और कई हिंदू संगठनों ने राजपूत समाज का अपमान करार दिया है।
Rana Sanga भाजपा नेता संजीव बालियान ने कहा कि “रामजी लाल सुमन का बयान समाजवादी पार्टी की तुष्टीकरण नीति को दर्शाता है। यह बयान पूरी तरह से झूठ पर आधारित है और राजपूत समुदाय के गौरवशाली इतिहास को कलंकित करने की कोशिश है।”
राजस्थान से भाजपा सांसद दीया कुमारी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “राणा सांगा जैसे वीर योद्धा को देशद्रोही बताने वाले लोग खुद मानसिक रूप से गुलाम हैं। सपा के नेता हमेशा इतिहास से छेड़छाड़ करते हैं, लेकिन हम इसे सहन नहीं करेंगे।”
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से सार्वजनिक रूप से इस बयान के लिए माफी मांगने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि सुमन माफी नहीं मांगते, तो समाजवादी पार्टी के नेताओं को देशभर में विरोध का सामना करना पड़ेगा।
करणी सेना और अन्य संगठनों का विरोध प्रदर्शन
रामजी लाल सुमन के बयान से नाराज करणी सेना और अन्य राजपूत संगठनों ने कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया।
उत्तर प्रदेश:
आगरा में करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने रामजी लाल सुमन के घर के बाहर प्रदर्शन किया और पुतला जलाया।
लखनऊ, वाराणसी और कानपुर में भी विरोध मार्च निकाले गए।
समाजवादी पार्टी के कार्यालय के बाहर करणी सेना ने प्रदर्शन किया और “सपा मुर्दाबाद” के नारे लगाए।
राजस्थान:
जयपुर में राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने महाराणा प्रताप स्मारक के सामने धरना दिया और सरकार से कार्रवाई की मांग की।
जोधपुर और उदयपुर में बड़ी संख्या में राजपूत समाज के लोग सड़कों पर उतरे और समाजवादी पार्टी के खिलाफ नारेबाजी की।
मध्य प्रदेश:
ग्वालियर में करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया।
इंदौर और भोपाल में भी समाजवादी पार्टी के खिलाफ नारेबाजी हुई।
करणी सेना के प्रमुख सुरजीत सिंह राठौड़ ने कहा,
“अगर रामजी लाल सुमन ने 48 घंटे के अंदर अपना बयान वापस नहीं लिया, तो समाजवादी पार्टी के कार्यक्रमों का पूरे देश में बहिष्कार किया जाएगा।”
इतिहासकारों की राय: क्या बाबर को राणा सांगा ने बुलाया था?
इतिहासकारों में इस विषय को लेकर मतभेद हैं।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राणा सांगा ने बाबर को आमंत्रित किया था ताकि वे इब्राहिम लोदी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ सकें।
जबकि कुछ अन्य इतिहासकारों का तर्क है कि बाबर ने भारत पर आक्रमण अपनी इच्छा से किया था और उसे किसी भी भारतीय राजा ने नहीं बुलाया।
ऐतिहासिक रूप से यह तथ्य स्पष्ट है कि राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ खानवा की लड़ाई (1527) लड़ी थी, जिसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था।
दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार डॉ. सत्यव्रत शर्मा के अनुसार, “बाबर को भारत पर हमला करने के लिए न केवल राणा सांगा, बल्कि कई अन्य राजाओं ने भी संदेश भेजे थे। लेकिन बाबर का असली उद्देश्य हिंदुस्तान में अपना साम्राज्य स्थापित करना था। बाद में खानवा की लड़ाई में राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ युद्ध लड़ा, जो यह साबित करता है कि वे बाबर के समर्थक नहीं थे।”
समाजवादी पार्टी का बचाव
समाजवादी पार्टी ने रामजी लाल सुमन के बयान का बचाव करते हुए भाजपा पर राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया।
- अखिलेश यादव ने कहा:
“भाजपा इतिहास को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है। रामजी लाल सुमन ने जो कहा वह एक ऐतिहासिक तथ्य है, न कि किसी समाज का अपमान।”
सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा: “हम इतिहास को गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। यह भाजपा की सोची-समझी रणनीति है कि जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, वे ऐसे मुद्दे उछालकर समाज में नफरत फैलाते हैं।”
राजनीतिक असर: 2024 चुनावों पर प्रभाव
यह मुद्दा उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राजनीति में तूल पकड़ सकता है।
भाजपा इस मुद्दे को हिंदू समाज और राजपूत समुदाय के सम्मान से जोड़कर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगी।*
समाजवादी पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक – मुस्लिम और दलित समुदाय को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए इस मुद्दे को भुनाने का प्रयास कर सकती है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अभी इस मामले में तटस्थ हैं, लेकिन आने वाले दिनों में वे भी इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं।
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