Delhi News: नई दिल्ली। दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 2020 के दिल्ली दंगों के विभिन्न मामलों में फंसाए गए दस आरोपियों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है। इनमें से सात बेगुनाह मुसलमानों की तरफ से कानूनी पैरवी जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असअद मदनी की हिदायत पर एडवोकेट सलीम मलिक और एडवोकेट अब्दुल ग़फ़्फ़ार ने की।
Delhi News: आरोपियों में मोहम्मद शाहनवाज़ उर्फ शानू, मोहम्मद शोएब उर्फ छोटुआ, शाहरुख, राशिद उर्फ राजा, आज़ाद, अशरफ अली, परवेज़, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ मोनू और मोहम्मद ताहिर शामिल थे, जिन पर दिल्ली के शिव विहार इलाके में दंगों, आगज़नी, चोरी और तोड़फोड़ के आरोप थे। हालांकि अदालत ने पेश किए गए सबूतों और गवाहियों के आधार पर फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोपों को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के वकीलों ने बचाव में अभियोजन पक्ष के सबूतों में मौजूद विरोधाभासों को उजागर किया। महत्वपूर्ण गवाह या तो अपने बयानों से मुकर गए या आरोपियों की पहचान नहीं कर सके। इसके अलावा, पुलिस अधिकारियों के बयानों में देरी और अन्य कानूनी खामियों ने भी अदालत को आरोपियों को बरी करने पर मजबूर किया।
Delhi News: अदालत के इस फैसले का स्वागत करते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असअद मदनी ने जमीयत के वकीलों की मेहनत की सराहना की और कहा कि निष्पक्ष ट्रायल और मज़बूत कानूनी प्रतिनिधित्व अत्यंत आवश्यक है। मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद इसी उद्देश्य से समाज के कमजोर तबकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा प्रयासरत रहेगी।
दिल्ली दंगों में मिली इस सफलता के संबंध में एडवोकेट नियाज़ अहमद फारूक़ी ने बताया कि जमीयत की कोशिशों से अब तक लगभग छह सौ लोगों को ज़मानत मिल चुकी है, और साठ से अधिक लोग बाइज़्ज़त बरी हो चुके हैं। अभी भी कई मामले ट्रायल पर हैं।
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