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Trending News: पैंतीस टुकड़ों वाला प्यार

Trending News: न्यूज़ चैनलों पर आफ़ताब और श्रद्धा की प्रेम कहानी और लिव इन का जो हश्र देखने को मिल रहा है उसने पूरे देश को दहशत से भर दिया है। यह देखकर भी दुख होता है कि एक व्यक्ति की इस इस दरिंदगी को लव जेहाद का रंग देकर सियासी फायदे के लिए एक पूरे समुदाय को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। अलग-अलग धर्मों के प्रेमी-प्रेमिकाओं के बीच प्रेम, विवाह और अब लिव इन भी कोई असामान्य बात नहीं। यह हमेशा से होता आया है और आगे भी होता रहेगा। चिंता की बात वह दरिंदगी है जो आफ़ताब ने दिखाकर समूची मानवता को शर्मिंदा किया है। इसकी वज़ह कुछ लोगों द्वारा यह बताई जा रही थी कि शादी के लिए आफ़ताब द्वारा श्रद्धा से धर्मांतरण की मांग के कारण विवाद हुआ।

यह भी कहा जा रहा है कि इस विवाद की जड़ में आफ़ताब के कई दूसरे प्रेम संबंध रहे थे। कारण जो भी रहा हो, दोनों को शालीनता से अलग हो जाना चाहिए था। आफ़ताब ने श्रद्धा से छुटकारा पाने के लिए जिस तरह उसकी हत्या की,शव के 35 टुकड़े कर फ्रीज में रखा और थोड़ा-थोड़ा कर उसे जंगल में फेंका वह नृशंसता की पराकाष्ठा थी। एक सभ्य समाज में यह स्वीकार्य नहीं। ऐसे लोग किसी भी धर्म के हों, उन्हें जीने का अधिकार नहीं है। आफ़ताब को फांसी होनी चाहिए, लेकिन उसके लिए पर्याप्त साक्ष्य जुटाने की जिम्मेदारी पुलिस की है। आफ़ताब का स्वीकारोक्ति बयान Trending News

न्यायालय में साक्ष्य नहीं माना जाएगा। श्रद्धा की देह के जो 10-12 कथित टुकड़े बरामद करने का दावा पुलिस ने किया है, उनका उसके मां या पिता के डी.एन.ए से मिलान करवाकर साबित करना होगा कि वे अवशेष श्रद्धा के ही हैं। दूसरे वह आरी भी बरामद करनी होगी जिसका इस्तेमाल श्रद्धा के शव के टुकड़े करने में हुआ था।

Trending News: बहुत से लोग सोशल मीडिया पर यह कहकर श्रद्धा को कोस रहे हैं कि उसका यह हश्र मां-बाप से विद्रोह कर अपनी मर्जी से अथवा दूसरे धर्म के लड़के से शादी का नतीजा है। यह एक प्रतिगामी सोच है जो लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने और अपनी इच्छा से अपना जीवन जीने के अधिकार का निषेध करता है। क्या मां-बाप द्वारा तय की गई सभी शादियां सफल ही होती हैं ? हर साल सैकड़ों लड़कियां दहेज के लिए जिंदा जला दी जाती हैं, क्या वह नृशंसता नहीं है ? ज़रूरत मनुष्य के भेष में हमारे समाज में मौजूद ऐसे तमाम दरिंदों का सही-सही इलाज करने की है, हमारी लड़कियों के सपनों और अधिकारों पर अंकुश लगाने की नहीं। लेखक : ध्रुव गुप्त, आईपीएस unitedindialive5@gmail.com


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