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UPSIDA Recruitment Scam: मलाईदार पदों पर पहुँच कर ऊपर तक हिस्सा पहुंचा रहे अधिकारी, जाँच गयी ठण्डे बस्ते में!

UPSIDA Recruitment Scam: दिल्ली। यूपीसीडा में वर्ष 2008 – 2009 में हुई बैकलॉग भर्ती घोटाले की लगभग 32 वीं जाँच अभी चल रही है विजलेंस के साथ साथ औद्योगिक विकास सचिव मामले कि जाँच कर रहे हैं लेकिन अभी तक के नतीजों से ऐसा प्रतीत होता है कि सब धूल में लठ्ठ पीट रहे हैं। आरोपी अधिकारी और कर्मचारी मलाईदार पदों पर बैठ कर कमाई कर रहे हैं। नकली कागजों और फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्ति पाने वाले अधिकारी अपनी काली कमाई का हिस्सा जाँच करने वालों तक पहुंचा रहे हैं जिसके कारण जांच कमेटी ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

UPSIDA Recruitment Scam: सात कमिश्नर स्तर के अधिकारी, दो प्रमुख सचिव और तीन विशेष सचिव मामले की जाँच करके अपनी अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं, उसके बावजूद सिर्फ 7 लोगों को बर्खास्त किया गया। बाकि के लोगों के खिलाफ चल रही जाँच की फाइल इधर से उधर घूम रही है। फाइल जितनी पुरानी हो रही है, उसका वजन भी उतना ही ज़्यादा बढ़ता जा रहा है। हर तीन महीने बाद एक जाँच कमेटी बैठती है। विजलेंस दो बार जाँच कर चुकी है, लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकल रहा है। सूत्रों की माने तो जाँच की फाइल सोने का अंडा देनी वाली मुर्गी है। जांच करके रिपोर्ट सौंप कर कार्रवाई करने का मतलब सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की हत्या और सोने का अंडा समाप्त।

UPSIDA Recruitment Scam: इसी लिए अधिकारी इस फाइल को इधर से उधर घुमा रहे हैं। जाँच की फाइल जहाँ जाती है वहीं से कुछ न कुछ ले कर आती है। इस लिए जाँच कमेटी सरकार की अंधों में धूल झोंक रही है। 136 लोगों की फर्जी नियुक्ति के मामले में अनेक लोगों के फर्जी कागजात मिले हैं लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ उगाही चल रही है। यूपीसीडा में व्याप्त भ्र्ष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। इससे पहले भी अरुण मिश्रा जैसे लोगों पर हज़ारों करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है लेकिन सब मामले जाँच के नाम पर लंबित पड़े हैं और आरोपी बराबर का हिस्सा दे कर सरकारी खजाने को लूट रहे हैं।

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मोटा पैसा दे कर करा रहे हैं ट्रांसफर और पोस्टिंग
UPSIDA Recruitment Scam: यूपीसीडा बैकलॉग भर्ती घोटाले की जांच भले ही चल रही है लेकिन आरोपी अधिकारीयों और कर्मचारियों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। शासन ने कल जो तबादलों की लिस्ट जारी किया है, उसमें कई 2008 -2009 बैकलॉग भर्ती के वह लोग शामिल हैं जो बाबू सिंह कुशवाहा के करीबी हैं। इन्होने मोटा चढ़ावा चढ़ा कर अपने मन माफिक प्राधिकरणों में तबादला करवा लिया और जाँच कमेटी कुम्भकर्ण की नींद सो रही है।
योगी सरकार की भ्र्ष्टाचार विरोधी नीतियों के खिलाफ कार्य कर अफसरों के कारण यूपी सरकार की छवि धूमिल हो रही है। अधिकारी अवैध कमाई करके अपनी काल कोठरी भर रहे हैं और सरकार को अँधेरे में रख रहे हैं।

13 वर्षों से लंबित है जाँच
UPSIDA Recruitment Scam: लगभग 13 वर्षों से यूपीसीडा बैकलॉग नियुक्ति घोटाले 2008 -2009 की जाँच चल रही है। संलिप्त अफसरों और कर्मचारियों की सूची 31 बार शासन को भेजी जा चुकी है। मामले में अब तक सात लोग टर्मिनेट हुए हैं जिसमें कोर्ट के आदेश पर दो लोग पुनः वापिस आ गए और बाकी के लोग चढ़ावा चढ़ा कर अपनी कुर्सी पर जमे हुए हैं। यूपीसीडा के कर्मचारिसंघ के नेता ने कई बार इस मामले को खोलने के शासन की नींद खुलवाने का कार्य किया लेकिन मीठी गोली मिलते ही जाँच कमेटी को फिर नींद आ जाती है। अब देखना है भरष्टचारियों और माफियाओं के उन्मूलन का दावा करने वाली सरकार क्या इनके खिलाफ चल रही जांच कमेटी को निद्रा से जगाने का कार्य करेगी या फिर सब कुछ राम भरोसे छोड़ दिया जायेगा।


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कमरुद्दीन सिद्दीकी को पत्रकारिता के क्षेत्र में 25 वर्षों का दीर्घ अनुभव प्राप्त है। वे स्नातक हैं और राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर निर्भीक लेखन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कट्टरपंथ, भ्रष्टाचार और अंधविश्वास के विरुद्ध आजीवन संघर्ष करने का संकल्प लिया है। वे अनेक सामाजिक संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और समाज में जागरूकता लाने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।

 

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