Azamgarh News : अतरौलिया /आजमगढ़। अतरौलिया विधानसभा क्षेत्र अहरौला, ग्राम लेदौरा में समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई 10 लीटर क्षमता वाली पराग मिल्क कंपनी आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। जिस फैक्ट्री को क्षेत्र के किसानों और युवाओं के लिए एक संजीवनी बूटी माना गया था, वह आज लगभग बंद होने की कगार पर है। यह सिर्फ एक औद्योगिक इकाई का बंद होना नहीं, बल्कि क्षेत्र के विकास का एक अधूरा सपना है जो अब कड़वी हकीकत में बदलता जा रहा है।
Azamgarh News : आज इस गंभीर स्थिति का जायजा लेने क्षेत्रीय विधायक खुद फैक्ट्री पहुंचे। उन्होंने प्लांट का दौरा किया और वहां की बदहाली देखकर गहरी चिंता व्यक्त की। विधायक डॉ संग्राम यादव ने कहा कि यह प्लांट क्षेत्र के हजारों दुग्ध उत्पादक किसानों की आजीविका का मुख्य आधार था। जब यह शुरू हुआ था, तब किसानों को भरोसा था कि उन्हें अपने दूध का सही दाम मिलेगा और बिचौलियों से छुटकारा मिलेगा। लेकिन आज प्लांट की खामोशी से किसानों का वह भरोसा टूटता दिख रहा है।

वादे और वर्तमान का फर्क
Azamgarh News : पराग मिल्क प्लांट को इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना के रूप में देखा गया था। इसका उद्देश्य न केवल स्थानीय दूध की खरीद सुनिश्चित करना था, बल्कि रोजगार के अवसर पैदा कर ग्रामीण पलायन को रोकना भी था। लेकिन, बीते कुछ वर्षों की अव्यवस्था और सरकारी अनदेखी ने इस परियोजना को असफलता के कगार पर ला खड़ा किया है। मशीनें जंग खा रही हैं, उत्पादन लगभग ठप्प है और कर्मचारियों में अनिश्चितता का माहौल है।

विधायक डॉ संग्राम यादव ने अधिकारियों पर लापरवाही और उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस रफ्तार से इस प्लांट की हालत बिगड़ी है, वह एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारें विकास की बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, वहीं दूसरी तरफ पहले से स्थापित औद्योगिक इकाइयां दम तोड़ रही हैं। विधायक ने इस मामले में तत्काल उच्चस्तरीय हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि अगर जल्द ही प्लांट को पुनर्जीवित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसका खामियाजा क्षेत्र के किसान और आम जनता को भुगतना पड़ेगा। यह भी पढ़े -https://www.unitedindialive.com/bsa-takes-strict-action-against-schools-operating-without-recognition-many-schools-closed/
Azamgarh News : अतरौलिया, अहरौला का पराग मिल्क प्लांट आज एक सवाल बनकर खड़ा है – क्या विकास की परियोजनाएं सिर्फ चुनावी वादे बनकर रह जाएंगी या उन्हें जमीनी हकीकत में बदलने के लिए भी कोई प्रयास होगा? इस प्लांट की बदहाली आजमगढ़ के विकास की कहानी पर एक गहरा प्रश्नचिह्न लगा रही है।