आजमगढ़. उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में मदरसों के संचालन और मान्यता में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में 313 मदरसे मानकों के विपरीत पाए गए, जिनमें से 185 मदरसों पर मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। शासन ने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए दोषी मदरसा संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कैसे हुआ मदरसों की अनियमितता का खुलासा?
आजमगढ़ जिले में सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसों की जांच का सिलसिला वर्ष 2017 में शुरू हुआ था। शुरुआती जांच में पता चला कि जिले में कुल 700 मदरसों में से केवल 387 मदरसे ही वैध रूप से संचालित हो रहे थे। शेष 313 मदरसों की मान्यता और संचालन को लेकर कई संदेह उत्पन्न हुए थे।
जांच में पाया गया कि इनमें से कई मदरसे केवल कागजों पर ही मौजूद थे, जबकि कुछ में आवश्यक सुविधाओं की भारी कमी थी। कई मदरसों में शिक्षक, छात्र और बुनियादी ढांचा नदारद था, लेकिन फिर भी वे सरकारी अनुदान प्राप्त कर रहे थे।
SIT की रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
विशेष जांच दल (SIT) द्वारा की गई विस्तृत जांच में पाया गया कि 313 मदरसों में से 219 पूरी तरह से फर्जी थे। इनमें से कई मदरसे ऐसे थे, जिनका कभी कोई संचालन नहीं हुआ, लेकिन वे वर्षों से सरकारी अनुदान प्राप्त कर रहे थे।
SIT ने अपनी रिपोर्ट में अनुशंसा की कि ऐसे मदरसा संचालकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, जिन्होंने शिक्षा के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। इस रिपोर्ट के आधार पर शासन ने 185 मदरसा संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
कौन-कौन से गड़बड़ियाँ सामने आईं?
- फर्जी मदरसे:
कई मदरसे केवल कागजों पर ही चल रहे थे, लेकिन वे लगातार सरकारी सहायता प्राप्त कर रहे थे। - बिना बुनियादी सुविधाओं के मदरसे:
कई मदरसे ऐसे मिले, जिनमें पढ़ाई की उचित व्यवस्था नहीं थी, लेकिन फिर भी वे शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त थे।
3. अनुपस्थित शिक्षक और छात्र:
कई मदरसों में शिक्षक और छात्र नाममात्र के थे, लेकिन फर्जी उपस्थिति दिखाकर वे वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे थे।
- अनुदान में गड़बड़ी:
जांच में सामने आया कि कुछ मदरसा संचालकों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुदान प्राप्त किया और शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
- जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने ऐसे सभी मदरसों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
- 185 मदरसा संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी की जा रही है।
- SIT की रिपोर्ट के आधार पर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी सख्त कार्रवाई हो सकती है, जिन्होंने इन फर्जी मदरसों को मान्यता दी थी।
- भविष्य में सरकारी अनुदान प्राप्त मदरसों की नियमित जांच की जाएगी, ताकि इस तरह की अनियमितताओं को रोका जा सके।
शासन की सख्ती और शिक्षा प्रणाली पर असर
प्रदेश सरकार शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने और फर्जीवाड़े को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठा रही है। मदरसों में हुई अनियमितताओं की जाँच से स्पष्ट हो गया है कि सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े नियमों की जरूरत है।
आजमगढ़ में सामने आए इस घोटाले के बाद, पूरे प्रदेश में मदरसों की जांच तेज कर दी गई है। शिक्षा विभाग अब यह सुनिश्चित करने में जुटा है कि केवल वे ही मदरसे सरकारी सहायता प्राप्त करें, जो सही तरीके से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
छात्रों और अभिभावकों में इस कार्रवाई को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हैं। कुछ लोग इसे शिक्षा की शुचिता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक शिक्षा के खिलाफ उठाया गया कदम बता रहे हैं। अब देखना यह होगा कि दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और सरकार किस तरह से शिक्षा व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाती है।