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Indian Foreign Ministry: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में दो भारतीय नागरिकों को दी गई फांसी

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Indian Foreign Ministry: नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में दो भारतीय नागरिकों को अलग-अलग हत्या के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा दी गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की। फांसी की सजा पाने वाले दोनों व्यक्ति केरल के निवासी थे। उनकी पहचान मुहम्मद रिनाश अरंगिलोट्टू और मुरलीधरन पेरुमथट्टा वलप्पिल के रूप में हुई है।

क्या है मामला?

Indian Foreign Ministry: भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, इन दोनों व्यक्तियों को UAE की अदालतों ने हत्या के मामलों में दोषी पाया था और उनकी सजा को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था। हालांकि, इनके खिलाफ दर्ज मामलों और अपराध की विस्तृत जानकारी अभी तक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।

MEA ने बताया कि भारतीय दूतावास ने दोनों दोषियों की सजा को कम कराने और उन्हें राहत दिलाने के लिए सभी संभावित कानूनी उपाय अपनाए थे। लेकिन यूएई की कानूनी प्रक्रिया और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के चलते दोनों व्यक्तियों की फांसी को टाला नहीं जा सका।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

Indian Foreign Ministry: भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त की है और कहा है कि सरकार ने दोषियों को कानूनी मदद प्रदान करने के लिए सभी प्रयास किए। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय दूतावास ने परिवारों से लगातार संपर्क बनाए रखा और आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान की, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के तहत मृत्युदंड को रोका नहीं जा सका।

MEA के बयान के अनुसार, “हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम से दुखी हैं और दोनों व्यक्तियों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”

UAE में कड़े कानून और सख्त सजा

UAE में हत्या जैसे गंभीर अपराधों के लिए कानून बहुत सख्त हैं, और वहां दोषियों को मृत्युदंड देने के कई उदाहरण पहले भी सामने आ चुके हैं। UAE में ऐसे मामलों में अपील और माफी की प्रक्रिया मौजूद होती है, लेकिन यह पूरी तरह से न्यायिक प्रणाली और शासकों के विवेक पर निर्भर करता है।

क्या होगा आगे?

यह मामला एक बार फिर से उन भारतीय प्रवासियों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, जो विदेशों में काम करने जाते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ऐसे मामलों में सतर्कता और कानूनी प्रक्रिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दे सकता है।

भारतीय समुदाय और मानवाधिकार संगठन अब इस मुद्दे पर और अधिक पारदर्शिता की मांग कर सकते हैं, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों में दोषियों को पर्याप्त कानूनी सहायता और न्याय मिलने की संभावना बनी रहे।

 

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