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Noida News: विकास की चकाचौंध में गुम हुआ किसान का दर्द

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अधूरे वादों की लंबी फेहरिस्त

Noida News: जब किसानों से उनकी पुश्तैनी ज़मीन ली गई थी, तब उन्हें सुनहरे सपने दिखाए गए थे। उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। मुआवजे के साथ-साथ उनके बच्चों की शिक्षा के लिए उच्च स्कूल, इलाज के लिए अच्छे अस्पताल और युवाओं को रोज़गार, विकसित आबादी के 5-7 प्रतिशत भूखंड, बैक लीज और उनके गांवों के लिए समुचित विकास का वादा किया गया था। लेकिन आज तक ये वादे कागजों तक ही सीमित हैं। कुछ किसान और उनके वारिस आज भी मुआवजे की पूरी राशि और अपने प्लॉट के लिए सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, जबकि उनकी ज़मीन पर खड़ी इमारतों से अरबों-खरबों का कारोबार हो रहा है।

एक ही थैली के चट्टे-बट्टे: सरकार और अधिकारी

Noida News: नोएडा में किसानों की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहाँ सरकार और अधिकारी दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे बन गए हैं। अधिकारी अपने कार्यकाल के दौरान किसानों को झूठे वादों में उलझाकर समय निकाल लेते हैं और फिर उनका तबादला हो जाता है। नए अधिकारी आते हैं और वही प्रक्रिया दोहराई जाती है। इसी तरह, चुनाव जीतने के बाद नेता किसानों को और उनकी समस्याओं को भूल जाते हैं। किसान पहले भी सड़कों पर आंदोलन कर रहा था और आज भी कर रहा है, लेकिन सत्ता के गलियारों में बैठे लोग अपनी आँखों पर पट्टी बांधे हुए हैं।

अमीरी की मीनारें और किसान का संघर्ष

Noida News: यह विडंबना ही है कि जिन किसानों की जमीन से नोएडा का साम्राज्य खड़ा हुआ, वे आज भी अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए जूझ रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार में बैठे लोगों, अधिकारियों और दलालों ने अवैध कमाई से नोएडा में अरबों की संपत्ति अर्जित कर ली है और अपने आलीशान अंपायर खड़े कर लिए हैं। उनकी समृद्धि की नींव किसान के शोषण और उसके टूटे हुए सपनों पर रखी गई है। लेखक -कमरुद्दीन सिद्दीक़ी (

किसान आज सवाल कर रहा है कि आखिर कब तक उसे उसके हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा? प्राधिकरण सभी बड़े-बड़े प्रोजेक्ट समय पर पूरे कर लेता है, लेकिन जब किसानों के काम की बात आती है तो सालों की देरी क्यों होती है? यह भेदभावपूर्ण रवैया क्यों?

Noida News: विकास की चकाचौंध में गुम हुआ किसान का दर्दयह समय है कि सरकार इस मुद्दे की गंभीरता को समझे। नोएडा का विकास तब तक अधूरा है, जब तक उन किसानों को उनका हक नहीं मिल जाता, जिनकी कुर्बानी पर इस आधुनिक शहर की नींव रखी गई है। किसान का संघर्ष केवल जमीन का नहीं, बल्कि न्याय और सम्मान का है, और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक उसे उसका अधिकार नहीं मिल जाता। लेखक -कमरुद्दीन सिद्दीक़ी (Email-unitedindialive5@gmail.com)

 

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