Bihar News: जब राजनीति आमतौर पर सत्ता, पद और प्रचार का माध्यम बन गई हो, ऐसे समय में कुछ नाम ऐसे भी हैं जो जनसेवा को जीवन का धर्म मानते हैं। बिहार के पूर्व सांसद पप्पू यादव उन्हीं चुनिंदा नेताओं में हैं जिन्होंने यह साबित किया कि जनता की तकलीफ में साथ खड़ा होना ही असली राजनीति है।
Bihar News: सहरसा जिले से निकलकर संसद तक पहुंचे पप्पू यादव के पास करीब 9000 बीघा पुश्तैनी भूमि है। लेकिन जब कोरोना महामारी ने देश को हिला दिया, तब उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा जनता की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा बेचकर लोगों के लिए ऑक्सीजन, दवाइयां, एंबुलेंस, भोजन और आर्थिक सहायता का इंतज़ाम किया।
Bihar News: उन्होंने तब मदद की, जब न कोई सरकारी सिस्टम काम कर रहा था और न ही बड़े नेता सड़कों पर दिखाई दे रहे थे। दिन हो या रात, वे खुद गाड़ियों में मरीजों को अस्पताल पहुंचाते, एंबुलेंस चलाते, लोगों को अंतिम संस्कार तक ले जाते।
और ये सेवा सिर्फ महामारी तक सीमित नहीं रही — आज भी पप्पू यादव रोजाना लगभग 500 ज़रूरतमंद लोगों को भोजन करवाते हैं। उनके लिए यह कोई प्रचार या राजनीति नहीं, बल्कि व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है।
उनकी यही सोच उन्हें अलग बनाती है। वे खुद कहते हैं,
“मेरी जमीन हो या शरीर, जब तक है, समाज के काम आए — यही मेरी पूंजी है।”
कई बार राजनीतिक दलों ने उन्हें नजरअंदाज़ किया, झूठे मामलों में फंसाया गया, लेकिन जनता का भरोसा उन पर बना रहा। पप्पू यादव आज भी बिहार की राजनीति में एक ईमानदार, जनप्रिय और ज़मीनी नेता के रूप में जाने जाते हैं।
वे न केवल नेता हैं, बल्कि जनता के संकट में खड़े रहने वाले सच्चे जनसेवक हैं — जिनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।