Doha Attack: नई दिल्ली। क़तर की राजधानी दोहा में मंगलवार को हमास की वार्ताकार टीम को निशाना बनाकर किए गए इसराइली हमले ने मध्य-पूर्व में तनाव और बढ़ा दिया है। इस घटना पर क़तर, संयुक्त राष्ट्र और कई अरब देशों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
Doha Attack: हमास ने दावा किया कि उसकी वार्ता टीम को खत्म करने की कोशिश की गई। संगठन का कहना है कि हमले में उसके छह सदस्यों की मौत हुई है।
Doha Attack: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “अप्रत्याशित और अप्रभावी” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से न तो अमेरिका और न ही इसराइल को कोई रणनीतिक लाभ होगा।
Doha Attack: इसराइल ने सफाई देते हुए कहा कि उसने हमले से पहले अमेरिका और क़तर को सूचित कर दिया था। लेकिन क़तर के विदेश मंत्रालय ने इस कार्रवाई को “अंतरराष्ट्रीय क़ानून का गंभीर उल्लंघन” और “कायराना हमला” बताया। क़तर के प्रधानमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि उनके देश के पास इस हमले का जवाब देने और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने का पूरा अधिकार है।
Doha Attack: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस हमले की आलोचना करते हुए इसे “क्षेत्रीय संप्रभुता का घोर उल्लंघन” बताया। वहीं, क़तर सरकार ने अपने क़ानूनी विशेषज्ञों की टीम को जिम्मा दिया है कि इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
Doha Attack: अरब देशों की मीडिया और सरकारों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस हमले ने “एक नई सीमा” पार कर दी है और इसका असर क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा पड़ सकता है।
Doha Attack: कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में हमले के लिए ट्रंप को अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है। हालांकि, ट्रंप का कहना है कि उन्हें घटना की जानकारी दी गई थी और उनके दूत ने क़तर को आगाह किया था, लेकिन तब तक “बहुत देर” हो चुकी थी।
इधर, संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के राजदूत ने बयान दिया कि इसराइल हमेशा अमेरिकी हितों को ध्यान में रखकर कार्रवाई नहीं करता।