Breaking News: नई दिल्ली, 26 अगस्त 2025। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट मंगलवार को न्याय के मंदिर के बजाय आंदोलन का अखाड़ा बन गई। भारी संख्या में वकील परिसर में जुटे और उपराज्यपाल की विवादित अधिसूचना के खिलाफ ज़बरदस्त हंगामा किया। पूरा माहौल “अधिसूचना वापस लो”, “न्यायपालिका की गरिमा बचाओ” के नारों से गूंज उठा।

Breaking News: बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मंच से चेतावनी दी कि 13 अगस्त की अधिसूचना पूरी तरह अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी है। वकीलों का कहना है कि पुलिस अधिकारियों को थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की अनुमति देना न केवल न्यायिक प्रक्रिया की आत्मा पर आघात है, बल्कि यह आम नागरिकों के अधिकारों के साथ भी खिलवाड़ है।
Breaking News: हंगामे के चलते तीस हजारी कोर्ट में दिनभर कामकाज पूरी तरह ठप रहा। अधिवक्ताओं ने अदालत परिसर में बैनर-पोस्टर लहराते हुए मार्च निकाला और सरकार को अल्टीमेटम दिया।
फरवरी के बाद अगस्त में फिर गूंजा वकीलों का विरोध
Breaking News: यह इस साल दूसरी बार है जब दिल्ली के वकीलों ने सड़कों से अदालतों तक विरोध का बिगुल बजाया है। फरवरी 2025 के अंत में उन्होंने प्रस्तावित “अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2025” को पेशे की गरिमा और स्वायत्तता पर हमला बताते हुए कामकाज ठप किया था। अगस्त की हड़ताल अब पुलिस गवाही से जुड़ी अधिसूचना पर केंद्रित है, जिसे वकील न्याय व्यवस्था को कमजोर करने की साज़िश करार दे रहे हैं।

आंदोलन का विस्तार देशव्यापी हो सकता है
Breaking News: जिला अदालतों बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने पहले ही 22 और 23 अगस्त को पूर्ण बहिष्कार का ऐलान किया था। अब 25 अगस्त को हुई समिति की बैठक में आम सहमति से तय किया गया कि 26 अगस्त को भी दिल्ली की सभी जिला अदालतों में वकील कोई कामकाज नहीं हुआ।
समिति के अतिरिक्त महासचिव तरुण राणा ने साफ कहा—
Breaking News: “जब तक यह मनमानी अधिसूचना वापस नहीं ली जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। मंगलवार को सरकारी वकीलों, ईडी और सीबीआई के अभियोजकों और पुलिस अधिकारियों को अदालतों में प्रवेश नहीं करने दिया।”

नई दिल्ली बार एसोसिएशन के सचिव राणा —
Breaking News: “चूंकि यह अधिसूचना सीधे आम जनता के अधिकारों के खिलाफ है, इसलिए 26 अगस्त को सभी जिला अदालत परिसरों के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया गया, ताकि आम लोगों को भी इस षड्यंत्र से अवगत कराया जा सके।”
तीस हजारी कोर्ट से उठी यह गूंज अब दिल्ली की सीमाओं को लांघकर देशव्यापी आंदोलन का रूप ले सकती है। वकीलों का कहना है कि अगर सरकार ने हठधर्मिता छोड़ी नहीं, तो न्यायिक इतिहास में यह सबसे बड़ा विरोध आंदोलन बन जाएगा।