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Noida Labour: अमीरों के शहर नोएडा में मजदूरों के घर बनाने का सपना, सपना रह गया

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Noida Labour: नोएडा। उत्तर प्रदेश के सबसे विकसित औद्योगिक जिला गौतमबुद्ध नगर में अमीरों को बसाने के लिए सरकार योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। जिले के तीन प्राधिकरण समय समय पर अमीरों के लिए योजनाएं बना रहे हैं और योजनाओं के अनुसार लोगों को रहने के लिए, आफिस के लिए, व्यवसाय के लिए, उद्योग स्थापित करने के लिए भूखंड आवंटित कर रहे हैं, लेकिन इन तमाम योजनाओं में उन फैक्ट्रियों, ऑफिसों, दुकानों और मकानों में कार्य करने वालों की सुध कोई नहीं ले रहा है।

पहले ड्रा के द्वारा के देते थे लोगों को भूखण्ड
Noida Labour: पहले आवासीय, कमर्शियल और औद्योगिक भूखंडों का आवंटन ड्रा स्कीम के द्वारा किया जाता था। जिसमे हर नागरिक को अपनी किस्मत आजमाने का सामान मौका मिलता था। ड्रा स्कीम में सभी साइज के भूखंड शामिल होते थे, इस लिए हर वर्ग के लोग स्कीम में हिस्सा लेते थे। ड्रा स्कीम में सफल आवेदक को भूखंड का भुगतान किस्तों में करना होता था। इससे किसी के ऊपर कोई दबाव नहीं होता था। ड्रा स्कीम से सभी लोगों को समान अवसर मिल रहा था और नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण की स्कीमों का लोग लाभ लाभ उठा रहे थे। इस तरह की योजनाओं का लाभ छोटे, माध्यम और उच्च वर्ग को बराबर मिल रहा था लेकिन उन योजनाओं में भी एक मजदूर वर्ग को स्थान नहीं मिल रहा था, क्योंकि प्राधिकरण के जमीनों का रेट मजदूरों की अवकात से बाहर होता है। लिहाजा मजदूर वर्ग आवासीय योजनाओं से वंचित रह जाता रहा है।Noida Labour: अमीरों के शहर नोएडा में मजदूरों के घर बनाने का सपना, सपना रह गया

श्रमिक आवास योजना
Noida Labour: वर्ष 2000 के आसपास नोएडा प्राधिकरण ने नोएडा में कार्य कर रहे प्रवासी मजदूरों के लिए आवास योजना के अंतर्गत श्रमिक कुंज बनाया और लोगों को आवंटित किया गया लेकिन यह योजना कुछ समय बाद यह योजना समाप्त कर दी गई।
नोएडा के औद्योगिक और आवासीय सेक्टरों का विस्तार जारी रहा। औद्योगिक क्षेत्र के साथ साथ निर्माण क्षेत्र में भी मजदूरों की संख्या बढ़ती गई। जहां पहले मजदूर कुछ हजारों की संख्या में थे वहीं अब तीनों प्राधिकरणों द्वारा विकसित क्षेत्रों में एक अनुमान के मुताबिक लाखों की संख्या में मजदूर जिला गौतमबुद्ध नगर में रह रहे हैं, लेकिन अब मजदूरों के आवास की कोई योजना नहीं आ रही है।

अवैध कालोनियों में बसने के लिए मजबूर
Noida Labour: जिला गौतमबुद्ध नगर में अवैध कालोनियों के विस्तार के लिए जिला प्रशासन, पुलिस और तीनों प्राधिकरण जिम्मेदार है। अगर जनरल योजनाओं के साथ मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए प्राधिकरण आवासीय योजनाएं निकालता तो लोग अवैध कालोनी में जमीन खरीदने क्यों जाते ? अवैध कालोनीयां बसाने वालों ने सरकारी महकमें में अपनी पैठ बना कर, प्रॉफिट में उनका एक हिस्सा तय किया और धड़ल्ले से जिला गौतमबुद्ध की व्यवस्था को तहस नहस किया। रजिस्ट्री बंद होने के बाद भी रजिस्ट्री, हर क्षेत्र में प्राधिकरण का लेखपाल और जेई घूमता है, पुलिस चौकी है फिर भी सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा और डूब क्षेत्रों में बसा दी गयी कालोनी। कौन हैं यह लोग ? इनको इतनीं शक्ति कहा से मिलती है ? क्यों नहीं डरते है शासन और प्रशासन से ?

Noida Labour: अवैध कालोनियों में जमीन खरीदने के लिए भू माफियाओं के जाल में गरीब मजदूर इस लिए फंस रहे हैं क्यों की जिले के तीनो प्राधिकरण अब सिर्फ पैसा कमाने के लिए कार्य कर रहे हैं। जब कि यह सरकार भी जानती है और अधिकारी भी जानते हैं कि मजदूरों के बिना न शहर बस सकता है, न उद्योग चल सकते हैं और न ही निर्माण कार्य हो सकता है, फिर भी वैध और अवैध की दौलत कमाने के जुनून ने अधिकारियों की आंखों पर पर्दा चढ़ा दिया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

नीलामी योजना से बढ़ा जमीनों का रेट
Noida Labour: यूपी सरकार ने यूपी औद्योगिक विकास के लिए ई नीलामी एक धन जुटाने का माध्यम बनाया और करोड़ों के विज्ञापनों के माध्यम से प्रचार, प्रसार करके निवेशकों को यूपी में आने के लिए आकर्षित किया। सरकार की योजना का फायदा भी हुआ लोगों ने यूपी में रोजगार के लिए हाथ भी बढ़ाया और उद्योग स्थापित करने के नाम पर लोगों ने जमीनें भी खरीदा लेकिन धरातल पर अभी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।
सरकार ने औद्योगिक भूखंडों के साथ साथ आवासीय भूखंडों की भी ई नीलामी शुरू कर दिया। जिसके कारण जिला गौतमबुद्ध नगर में कोरोना महामारी के बाद से देखते ही देखते जमीनों का रेट आसमान छूने लग गया, और साधारण लोगों का गौतमबुद्ध नगर में बसने का सपना, सपना हो गया।
वर्ष 2019,2020 में नोएडा में जमीन का रेट 70 से 1लाख रुपया प्रति वर्ग मीटर था, जोकि आज एक लाख पचास हजार रुपया प्रति वर्ग मीटर से दो लाख हो गया है। ग्रेटर नोएडा में 40 हजार रुपया प्रति वर्ग मीटर था आज 80 हजार से एक लाख रुपया वर्ग मीटर हो गया है। यमुना प्राधिकरण में 15 हजार से 50 हजार रुपया वर्ग मीटर का रेट हो गया। अब कोई जनरल आवासीय योजना आ नहीं रही है, तो मजदूर निम्न वर्ग और मध्यम वर्गीय परिवार कहां जमीन खरीदेगा?

भू-माफियाओं ने पुलिस और प्राधिकरण से मिल कर किया खेल
Noida Labour: सरकार /जिला प्रशासन और प्राधिकरण द्वारा मजदूरों/निम्न आय वर्ग के लोगों के रहने की व्यवस्था को नजरअंदाज करना औद्योगिक विकास नियमावली, शहरी विकास एक्ट और मानव अधिकारों का उललंघन है। भू-माफियाओं को अप्रत्यक्षरूप से लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारीयों ने निम्न वर्ग और माध्यम वर्ग के विषय में बिना विचार किये भूखंडों की आवंटन की योजना को बंद करके ई -नीलामी शुरू कर दिया। जो लोग नॉएडा में नौकरी कर रहे हैं, उनेह जब प्राधिकरण आवासीय भूखंड नहीं देगा तो अवैध कालोनियों में बसने के लिए भू-माफियाओं के जाल में फंसना उनकी मज़बूरी होगी, और वही हो रहा है। मजबूरी में लोग अपना जेवर बेच कर, गांव की जमीन बेच कर, लोन ले कर अवैध कालोनियों में वहां मकान खरीद रहे हैं, जहाँ कभी बुलडोज़र आ कर उनके मकान को तोड़ देता है, तो कभी बाढ़ आ कर डूबा जाती है, गिरना और गिर कर उठना उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बना गया है।

क्या है सरकार की ज़िम्मेदारी ?
Noida Labour: मजदूरों, गरीबों और बेसहारा लोगों के जीवन की सुरक्षा, रोजगार के अवसर, शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ साथ उनके लिए आवास उपलब्ध कराना भी सरकार का दायित्व है, लेकिन जिला गौतमबुद्ध नगर में नियमों को ताक पर रख कर मानव अधिकारों का खुलेआम उलंघन करते हुए सरकार ने लगभग समस्त एरिया उद्योगपतियों, व्यपारियों और निवेशकों को बेच दिया। इस लिए फैक्ट्रियों में कार्य करने वाले, घरों, दुकानों, ऑफिसों और निर्माण कार्य से जुड़े लाखों श्रमिकों का घर बनाने का सपना, सपना ही रह गया।

बंद हो गयी औद्योगिक भूखंडों की नीलामी
Noida Labour: जिला गौतमबुद्ध नगर के उद्योग बंधुओं के विरोध के बाद अगर औद्योगिक भूखंडों की नीलामी प्रक्रिया बंद की जा सकती है तो फिर लाखों मजदूरों और मध्यम वर्गीय लोगों के लिए आवासीय भूखंडों /भवनों की नीलामी प्रक्रिया क्यों नहीं रोकी जा सकती है? अगर आवासीय भूखंडों की नीलामी प्रक्रिया नहीं रुकी तो शहर में झुग्गी, झोपडी और अवैध कालोनियों को बसने से रोकने की बात करना बेईमानी होगा।

 

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