Noida News: नोएडा। गौतम बुद्ध नगर में यमुना प्राधिकरण द्वारा किसानों की लगातार उपेक्षा और अधिग्रहित भूमि को लेकर वादाखिलाफी के विरोध में क्षेत्रीय किसानों का आक्रोश अब सड़कों पर दिखाई देने वाला है। किसान एकता महासंघ के बैनर तले 30 जुलाई को दनकौर-सलारपुर अंडरपास पर एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया।
Noida News: इस महापंचायत में गौतम बुद्ध नगर सहित आसपास के जनपदों से हजारों किसानों के जुटने की संभावना है। किसान नेताओं ने कहा है कि यह आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई होगी। यदि सरकार और यमुना प्राधिकरण ने किसानों की मांगों पर तुरंत कार्यवाही नहीं की, तो बड़ा जनांदोलन शुरू किया जाएगा।
किसानों की 11 प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं:
- गौतम बुद्ध नगर में पिछले 12 वर्षों से कृषि भूमि के सर्किल रेट नहीं बढ़ाए गए हैं। किसानों ने तत्काल प्रभाव से सर्किल रेट बढ़ाने की मांग की है।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को पूरी तरह लागू किया जाए और किसानों को इसके सभी लाभ दिए जाएं।
- किसानों को 10% विकसित आवासीय भूखंड का लाभ सुनिश्चित किया जाए।
- किसानों की पुरानी आबादी को परिवार के आधार पर जस की तस छोड़ा जाए। बैक लीज, शिफ्टिंग प्लॉट जैसी समस्याओं का समाधान किया जाए।
- जगनपुर, दनकौर, रिलखा सहित कई गांवों की भूमि का अधिग्रहण होने के बाद भी किसानों को 7% प्लॉट नहीं दिए गए। इन्हें शीघ्र आवंटित किया जाए।
- जेपी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अधिग्रहित भूमि का मुआवजा अब तक नहीं दिया गया है। किसानों ने याचिकाएं वापस ले ली थीं, लेकिन प्राधिकरण ने वादा नहीं निभाया। कैंप लगाकर मुआवजा वितरित किया जाए।
- यमुना एक्सप्रेसवे के निर्माण में जिन किसानों की भूमि ली गई है, उन्हें 64.7% अतिरिक्त मुआवजा और प्लॉट दिए जाएं।
- प्राधिकरण क्षेत्र में स्थित कंपनियों जैसे वीवो, ओप्पो आदि में स्थानीय किसानों के बेरोजगार बच्चों को योग्यता के आधार पर रोजगार दिया जाए।
- शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों में किसानों के लिए विशेष कोटा लागू किया जाए। साथ ही, सभी अस्पतालों में OPD की सुविधा सुबह और शाम 2-2 घंटे मुफ्त उपलब्ध कराई जाए।
- हरिजन, कुम्हार, नाई, धोबी, लोहार, पाल जैसे भूमिहीन सहयोगी समुदायों को भी आवासीय भूखंड प्रदान किए जाएं।
- प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना को गौतम बुद्ध नगर के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी रूप से लागू कर किसानों को जमीन का स्वामित्व प्रमाण पत्र प्रदान किया जाए।
किसान एकता महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि इन मांगों पर तुरंत कार्यवाही नहीं हुई, तो यह आंदोलन उग्र रूप ले सकता है।
अब किसान चुप बैठने वाले नहीं हैं — हक और सम्मान की लड़ाई सड़क से सदन तक पहुंचेगी।