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Supreme Court Relief: आज़म खान और बेटे को फर्जी दस्तावेज केस में राहत

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Supreme Court Relief: नई दिल्ली, 29 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश की सियासत के चर्चित चेहरे मोहम्मद आज़म खान तथा उनके पुत्र अब्दुल्ला आज़म खान को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ चल रही दो आपराधिक मामलों में सुनवाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। ये दोनों मामले वर्ष 2019 में दर्ज हुए थे, जिनमें आरोप है कि पासपोर्ट और पैन कार्ड बनवाने के लिए जालसाज़ी कर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए।

Supreme Court Relief: न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दोनों मामलों को खारिज किए जाने के निर्णयों पर स्थगन (Stay) दे दिया। यानि अब इन मामलों में आगे की कार्यवाही पर फिलहाल रोक रहेगी।

क्या हैं मामले के तथ्य?

इन दोनों मामलों की जड़ें वर्ष 2019 से जुड़ी हैं।
SupremeCourtRelief: पहले मामले में अब्दुल्ला आज़म पर आरोप है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी से विधायक का चुनाव लड़ने के लिए फर्जी पैन कार्ड का सहारा लिया। आरोपों के अनुसार, उन्होंने अपने पिता मोहम्मद आज़म खान के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा और एक नया पैन कार्ड बनवाया, जिसमें उनकी जन्मतिथि 19 मार्च 1990 दर्शाई गई थी। जबकि उनके पहले से जारी पैन कार्ड और हाई स्कूल प्रमाणपत्र में उनकी वास्तविक जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज थी।

पैन कार्ड में जन्मतिथि बदलने का यह कदम इस वजह से उठाया गया था ताकि अब्दुल्ला की उम्र उस समय चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु सीमा में आ जाए। यही नहीं, इस मामले को आधार बनाकर अब्दुल्ला आज़म ने चुनाव में नामांकन भी दाखिल किया। यह गंभीर आपराधिक आरोप सार्वजनिक पद की शुचिता और चुनावी पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।

दूसरे मामले में भी इसी तरह के दस्तावेजी जालसाज़ी के आरोप हैं, जिनमें पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। यह दोनों मामले चुनावी प्रक्रिया और सरकारी प्रणाली में पारदर्शिता की मूल भावना के विरुद्ध माने जा रहे हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत

मोहम्मद आज़म खान और उनके बेटे ने इन दोनों मामलों को खारिज करवाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने उनके तर्कों को खारिज करते हुए मामला चलाने की अनुमति दी थी। इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) दाखिल की।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए अगली सुनवाई तक उच्च न्यायालय के आदेशों पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि दोनों याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है और तब तक ट्रायल की प्रक्रिया पर स्थगन लागू रहेगा।

राजनीतिक असर

यह मामला केवल कानूनी दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी अत्यंत संवेदनशील है। आज़म खान को हमेशा उत्तर प्रदेश की सियासत में मुस्लिम नेतृत्व के एक प्रमुख चेहरे के रूप में देखा जाता रहा है। उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को सपा में उनका उत्तराधिकारी भी माना जाता है। ऐसे में यह केस उनके राजनीतिक भविष्य पर भी बड़ा असर डाल सकता है।

वहीं भाजपा और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को “राजनीतिक नैतिकता” से जोड़ते हुए समय-समय पर सपा पर हमलावर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह अंतरिम राहत सपा खेमे के लिए फिलहाल कुछ सुकून जरूर लेकर आई है, लेकिन यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि मामला खत्म हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट की इस कार्रवाई ने जहां आज़म खान और उनके बेटे को अस्थायी राहत दी है, वहीं यह भी स्पष्ट कर दिया है कि संवैधानिक संस्थाएं फर्जीवाड़े, चुनावी गड़बड़ियों और सार्वजनिक पदों के दुरुपयोग जैसे मामलों को गंभीरता से लेती हैं। आने वाली सुनवाई में यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो इसका असर केवल कानूनी नहीं बल्कि व्यापक राजनीतिक परिदृश्य पर भी देखने को मिल सकता है।

अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अंतिम रूप से क्या निर्णय देती है, और क्या अब्दुल्ला आज़म को चुनावी राजनीति में दोबारा कदम रखने का मौका मिलेगा या नहीं।

 

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