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UPSIDA NEWS: भष्टाचार में डूबा है यूपीसीडा! आरएम ने निराधार तथ्यों पर सीईओ से आवेदन करवाया निरस्त

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UPSIDA NEWS: दिल्ली। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण पूरी तरह से भ्र्ष्टाचार में डूबा है, जिसका अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि बिना किसी कारण के समिति ने झूठे और निराधार तथ्यों के आधार पर दिल्ली के एक व्यवसायी का आवेदन यूपीसीडा के सीईओ से निरस्त करवा दिया। औद्योगिक प्लाट के लिए आवेदन करने वाले व्यवसायी ने बताया कि आवेदन करने के बाद यूपीसीड़ा कानपूर ज़ोन कार्यालय से मेरे पास कई फोन आया लेकिन मैंने उनकी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि क्षेत्रीय प्रबंधक कमेटी ने हमारे आवेदन को झूठे और तथ्यहीन बाते मिन्ट्स नोट में लिख कर एसीओ और सीओ को गुमराह करके आवेदन को निरस्त करवा दिया।

सरकार की छवि को धूमिल कर रहे हैं अधिकारी
UPSIDA NEWS: यूपी की योगी सरकार भ्र्ष्टाचार को खत्म करने और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का निरंतर प्रयास कर रही है लेकिन जिन अधिकारीयों की रगों में भ्र्ष्टाचार का खून दौड़ रहा है वह लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। यूपी सरकार ने व्यवस्था से भ्र्ष्टाचार को खत्म करने के लिए निवेश मित्रा नामक एक वेब पोर्टल बनाया हुआ है जिसके माध्यम से आवेदक पुरे यूपी के सभी प्राधिकरणों की योजनाओं को देख कर अपनी पसंद के रिक्त भूखंड का आवेदन कर सकता है और तय समय में भूखंड का आवंटन भी कर दिया जाता है अगर आवेदक ने मांग के अनुसार सभी कागजात अपलोड किया है तो, लेकिन यहां पर थोड़ा सा लू पोल है जिसका फायदा क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी फायदा उठा रहे हैं।
आवेदन पोर्टल पर अपलोड होने के बाद सबसे पहले क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय के पास जाता है और उसके बाद जनरल मैनेजर और एसीओ के पास होते हुए अंत में सीईओ के पास पहुँचता है। सीईओ पेपर नहीं चेक करते हैं बल्कि प्रबंधक, मैनेजर और एसीओ की संतुति को देखते हुए आवेदन को अप्रूव्ड या अगर आगे से निरस्त करने की संतुति है तो निरस्त कर देते हैं बिना यह देखे और जाँच किये कि पीछे वालों जो लिखा है वह सही है अथवा गलत। जबकि क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय प्रबंधक, मैनेजर और एसीओ यह सब मिलकर खेल कर रहे हैं।

इस पत्र से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। जिसमें ऊपर फर्जी कहानी लिखा गया है।
लिखा है कि भूखंड संख्या जी -5 क्षेत्रफल 450 के लिए आवेदन आया है और फिर निचे लिखा जा रहा है कि क्षेत्रफल 17 50 मीटर है।

दिल्ली के व्यवसायी की कहानी
UPSIDA NEWS: अपना नाम नहीं छपने के आधार पर दिल्ली एक व्यसायी ने मीडिया को बताया कि पीएम और यूपी के सीएम के कार्यों से प्रभावित हो कर मैंने यूपीसीडा के प्लास्टिक सिटी, दिबियापुर औद्योगिक क्षेत्र जिला औरैया में फैक्ट्री लगाने का निर्णय लिया और निवेश मित्रा पोर्टल के माध्यम से जून में आवेदन किया। आवंटन राशि भी जमा कर दिया। जब फाइल को आरएम ने देखा तो उसमें जैनपुर औद्योगिक क्षेत्र के भूखंड का हवाला दिया कि यह भूखंड डी -101 पहले से किसी को आवंटित है (जबकि यहाँ आवेदन भूखंड संख्या डी -100 दिबियापुर के लिए किया गया था), जिसके कारण आवेदन निरस्त करने योग्य है। इसी बीच में कानपूर से मेरे पास कई फोन आया लेकिन मैंने नहीं उठाया एक फोन उठाया जोकि ट्रूकॉलर के अनुसार कॉलर का नाम अवीक मंडल (8146656707) दिखाई दिया जिसने यह जानकारी माँगा कि आप ने कहा के लिए आवेदन किया है मैंने अनजान व्यक्ति से बात करना उचित नहीं समझा और फोन काट दिया। उसके बाद जब फाइल मैनेजर के पास पहुंची तो उन्होंने लिखा कि सब कुछ ठीक है लेकिन क्षेत्रीय प्रबंधक ने अपने नोट्स में डिबिया पुर की जगह जैनपुर औद्योगिक क्षेत्र के भूखंड संख्या डी -101 का हवाला दे कर आवेदन पर अपनी असहमति जताया है अतः वह पुनः विचार करें। क्षेत्रीय प्रबंधक ने जब उसी कम्पनी मैसर्स सुनेजा प्लास्टिक इंडस्ट्रीज के आवेदन को दोबारा देखा तो ढेर सारी अन्य झूठी बातें लिखा कि –
१- टर्नओवर और नेटवर्थ के पेपर पर यूडीआईएन नंबर नहीं लिखा है।
२- आवेदन 1750 वर्ग मीटर का किया गया है जबकि साईट प्लान 1650 मीटर का लगा है।
३- परियोजना लागात प्रोजेक्ट रिपोर्ट और आवेदन फॉर्म में भिन्न है।
४- परियोजना रिपोर्ट के प्रथम पृथ पर कम्पनी का नाम सुनेजा इंडस्ट्रीज से भिन्न है।

अतः यह आवेदन निरस्त करने योग्य है।
UPSIDA NEWS: सीईओ कमेटी ने क्षेत्रीय प्रबंधक और मुख्यालय स्तर की कमेटी के नोट्स के आधार पर आवेदन को निरस्त कर दिया। जबकि आवेदक सुनेजा इंडस्ट्रीज ने जब निवेश मित्रा से सभी कागजात को डाऊनलोड करके चेक किया तो पाया कि पूरी फर्जी कहानी बना कर उनके आवेदन को निरस्त किया गया है। इससे यह आभास होता है कि यह पूरा प्रकरण रिश्वतखोरी से जुड़ा हुआ है। निचे बैठे लोग उच्च अधिकारीयों को अपने चश्में से दिखा रहे हैं जबकि सच्चाई उससे बिलकुल उलट है। आवेदन कर्ता सुनेजा इंडस्ट्रीज ने इस पुरे मामले की जाँच के लिए यूपीसीडा के सीईओ को विस्तार से मेल किया है। यह यह देखना है कि क्या यह ई मेल सीईओ साहब तक पहुंचेगा या वह भष्ट कर्मियों के ही हत्थे चढ़ जायेगा।

यूपीएसआईडीसी की वेबसाइट जहाँ से खाली भूखंडों को देख कर आवेदन करते हैं वहां भी झोल है !
UPSIDA NEWS: यूपीएसआईडीसी की वेबसाइट https://eservices.onlineupsidc.com/Advertisement.aspx पर दिबियापुर औद्योगिक क्षेत्र के डी ब्लॉक के सभी भूखंड एक तरफ क्षेत्रफल 1750 दिखाई दे रहा है लेकिन भूखंड का लेआउट प्लान खोलने पर क्षेत्रफल 1675 अंकित है और सभी विभागीय अधिकारीयों ने प्रमाणित भी किया है। अब इस प्रमाणित लेआउट प्लान के अनुसार अगर आवेदन किया गया तो निवेश मित्रा पोर्टल का आवेदन फॉर्म प्लाट नंबर सलेक्ट करते ही अपने आप 1750 डेटा बैंक से उठा रहा जिसमें कोई संसोधन किया नहीं जा सकता है। इसको भी निरस्तीकरण का एक कारण बताया गया है। अब अगर कोई वेबसाइट से डेटा लेकर 1750 मीटर का आवेदन करेगा तो यह कहा जा सकता है कि जब प्रमाणित लेआउट प्लान प्लान 1675 मीटर है तो फिर आप ने 1750 मीटर लिख दिया इस आप का आवेदन निरस्त किया जा रहा है।

UPSIDA NEWS: सुनेजा इंडस्ट्रीज के स्टाफ ने बताया कि ईमेल पर भी भरोसा नहीं है इस लिए मिडिया का सहारा लिया गया जिससे कि यह बात सीईओ मयूर माहेश्वरी के कानों तक पहुँच सके। उन्होंने कहा कि हमें सीईओ मयूर माहेश्वरी पर पूरा भरोसा है कि वह संज्ञान में आते ही मामले की जांच अवश्य करवायेंगें और निवेश मित्रा से पेपर डाउन लोड करवा कर चेक करवा कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे। विभाग के शीर्ष अधिकारीयों को विभागीय खामियों को दूर करना होगा जिससे सरकार प्रगतिशील योजनाओं का लाभ लोग सुगमता से उठा सकें। नोट – सभी जानकारी सुनेजा इंडस्ट्रीज के स्टाफ द्वारा उपलब्ध कराई गयी गयी, यूनाइटेड इण्डिया लाइव इसकी पुष्टि नहीं करता है।

 

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